उत्तराखंड चमोलीFear of major landslide in Joshimath

उत्तराखंड की अध्यात्मिक नगरी जोशीमठ के लिए खतरे का सिग्नल, घर छोड़कर जा रहे हैं लोग

हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों का घरों में रहना मुश्किल हो गया है और कई लोग अपने घर छोड़कर किराये पर रहने चले गए हैं

joshimath land slide alert : Fear of major landslide in Joshimath
Image: Fear of major landslide in Joshimath (Source: Social Media)

चमोली: 6,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ उत्तराखंड के कुछ खूबसूरत हिल स्टेशन में से एक है। चमोली जिले के अंतर्गत आने वाला जोशीमठ भारत-चीन सीमा से निकटता के कारण खास रणनीतिक महत्व भी रखता है। यहां की नैसर्गिक सुंदरता ऐसी है कि हर कोई यहां आकर मंत्रमुग्ध हो जाता है।

Fear of major landslide in Joshimath

मगर नेचर की गोद में बसे इस शहर को लेकर एक हैरान कर देने वाली रिपोर्ट सामने आयी है। रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ के घरों और सड़कों में दरारें आ रहीं हैं। हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों का घरों में रहना मुश्किल हो गया है और कई लोग अपने घर छोड़कर किराये पर रहने चले गए हैं। चमोली में शहर के चारों ओर जियोलॉजिकल वैज्ञानिक और जियोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन जांच करने के लिए गठित एक मल्टी इंस्टीट्यूशनल टीम ने पाया कि यह शहर एक अस्थिर नींव पर बना है, जो लैंडस्लाइड से तैयार हुए मलबे का एक मोटा आवरण है। जिसको भारी बारिश, झटके, अनियमित निर्माण के चलते बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। टीम ने कई अवैध घरों, रिसॉर्ट्स और छोटे होटलों को इस शहर के डूबने के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जो जोशीमठ-औली रोड के किनारे शहर की क्षमता की परवाह किए बिना बनाए गए हैं।

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सर्वेक्षण के लिए गठित टीम में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए), केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की समेत आईआईटी रुड़की के भी तमाम विशेषज्ञ शामिल थे। इसके अलावा टीम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (डब्ल्यूआईएचजी) ने भी टीम में शामिल होकर इस साल अगस्त में जोशीमठ के आसपास क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। दरअसल स्थानीय निवासियों के घरों और सड़कों में दरारों की शिकायत के बाद यूएसडीएमए द्वारा पैनल का गठन किया गया था। शुक्रवार को सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ से सड़क के साथ-साथ कई स्थानों पर जमीन के धंसने के साक्ष्य देखे गए हैं। साथ ही जोशीमठ-औली मार्ग के किनारे घरों में बड़े तौर पर दरारें भी पाई गई हैं। विशेषज्ञ पैनल ने पाया कि नुकसान केवल फर्श या घरों की दीवारों तक ही सीमित नहीं था, यह छत तक फैला हुआ था। वहीं जांच टीम में शामिल एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कहा कि यह क्षेत्र लंबे समय से धीरे-धीरे डूबता हुआ दिखाई दे रहा है। उत्तराखंड का चमोली जिला भारत के भूकंपीय जोन V में आता है, और विशेष रूप से भूस्खलन की चपेट में है, जिसका अर्थ है कि ये कभी भी ढह सकता है और यहां गंभीर आपदा आ सकती है। पैनल ने सुझाव दिया है कि सरकार तो अभी नालों (सीवर) के पास के कुछ स्थानों पर चल रहे सभी निर्माण कार्यों को रोक दिया जाना चाहिए और अवैध निर्माण कार्यों पर भी रोक लगानी चाहिए।