देहरादून: विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों को लेकर सरकार ने चाबुक चलाया है। कई भर्तियां निरस्त कर दी गई हैं। आपको बता दें कि भर्तियों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी, जिसने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी थी।
back door recruitment in Uttarakhand assembly
समिति की जांच में राज्य गठन के बाद से 2022 तक कांग्रेस व भाजपा सरकारों के कार्यकाल में विधानसभा में की गई भर्तियां शामिल हैं। समिति की जांच रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं। पता चला है कि विधानसभा में नौकरियां व्यक्तिगत पत्रों पर रेवड़ी की तरह बांटी गई। न तो कोई विज्ञापन निकाला गया न ही चयन समिति बनी। न कोई परीक्षा हुई। तदर्थ भर्तियों के लिए सभी पात्र व इच्छुक उम्मीदवारों को समानता का अवसर नहीं दिया गया। इससे भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 और अनुच्छेद-16 का उल्लंघन हुआ है। विधानसभा में पहुंच वालों के लिए नौकरी आसान रही। जांच रिपोर्ट में ये भी पता चला है कि 228 तदर्थ नियुक्तियों और 22 उपनल के माध्यम से नियुक्तियों में भर्तियों का कोई पैमाना नहीं था। जिसने भी पत्र लिखकर खुद के बेरोजगार होने का हवाला देते हुए नौकरी मांगी, उसे किसी भी पद पर नियुक्ति दे दी गई। आगे पढ़िए
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सीधी भर्ती के लिए निर्धारित चयन समिति का गठन नहीं किया गया। नियुक्तियां करने के लिए विज्ञापन जारी नहीं किया न ही सार्वजनिक सूचना दी गई। रोजगार कार्यालय से भी नाम नहीं मांगे गए। इसके बजाय जिसने भी व्यक्तिगत तौर पर आवेदन पत्र दिया, उसी पर नियुक्ति दे दी गई। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने बताया कि जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कार्मिक विभाग ने छह फरवरी 2003 को एक शासनादेश जारी किया था। जिसमें विभिन्न विभागों में तदर्थ, संविदा, नियत वेतन, दैनिक वेतन पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाई गई थी। इसके बावजूद विधानसभा में बैकडोर से भर्तियां की गईं। सूत्रों के मुताबिक, जांच समिति ने यह भी तथ्य पकड़ा है कि कई पदों पर ऐसे युवाओं को नौकरी दी गई जो कि उस पद की अर्हता ही नहीं रखते थे। अब इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण की ओर से बड़ा एक्शन लिया गया और भर्तियां निरस्त कर दी गई।