उत्तराखंड टिहरी गढ़वालTehri Garhwal parents divorce children destitute

गढ़वाल: मां-बाप ने लिया तलाक, 4 बच्चों की जिंदगी बर्बाद..इन्हें साथ रखने को कोई भी तैयार नहीं

पति का कहना है कि वो बच्चों को नहीं पाल सकता, वहीं मां ने भी उन्हें साथ रखने से साफ इनकार कर दिया। आगे जानिए पूरा मामला।

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Image: Tehri Garhwal parents divorce children destitute (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: नई टिहरी में पति-पत्नी का रिश्ता टूटा तो चार मासूमों के सामने परवरिश का संकट पैदा हो गया।

Tehri Garhwal parents divorce children destitute

पहले तो माता-पिता बच्चों को अपने संग रखने को राजी नहीं हुए, मामला बाल कल्याण समिति के पास पहुंचा तो पति-पत्नी ने दो-दो बच्चों को साथ रखने पर सहमति जताई, लेकिन माता-पिता की इस लड़ाई में चार नाबालिग बच्चों का बचपन बर्बाद हो गया। कभी ये चारों बच्चे एक आंगन में साथ खेला करते थे, पर माता-पिता की लड़ाई ने बच्चों को भी अलग-अलग घरों में बांट दिया। मामला भिलंगना ब्लॉक स्थित एक गांव का है। यहां एक दंपती के बीच मनमुटाव चल रहा था। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी 11 साल की है, जबकि सबसे छोटा बेटा 5 साल का है। पति से झगड़े के बाद पत्नी चारों बच्चों संग मायके में रह रही थी। कुछ समय पहले पति बच्चों को अपने साथ ले आया। बीते 20 दिसंबर को कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में तलाक का आदेश दिया।

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जिसके बाद पति ने कोर्ट में कहा कि वो बच्चों को नहीं पाल सकता। क्योंकि केस पत्नी ने किया है, इसलिए बच्चों को वही पालेगी। वहीं पत्नी का कहना था कि पति बच्चों को अपने साथ ले गया है, ऐसे में बच्चों को पालने की जिम्मेदारी उसी की है। कोई समाधान न निकलते देख कोर्ट ने मामला बाल कल्याण समिति के पास भेज दिया। समिति के समझाने पर पति-पत्नी दो-दो बच्चों की जिम्मेदारी उठाने को राजी हो गए, लेकिन पति-पत्नी के इस झगड़े में सबसे बड़ा नुकसान उन बच्चों का हो गया, जो पहले माता-पिता फिर भाई-बहन के प्यार से वंचित हो गए। अब उन्हें अलग-अलग घरों में रहना होगा। बाल कल्याण समिति के सदस्य महिपाल सिंह नेगी कहते हैं कि बच्चों को बाल निकेतन भेजना उचित नहीं होता। इस मामले में पति-पत्नी को समझाया गया, जिसके बाद दोनों दो-दो बच्चों को साथ रखने पर सहमत हुए हैं।