रुड़की: शुक्रवार की वो मनहूस सुबह उत्तराखंड के साथ साथ पूरे देश और वर्ल्ड क्रिकेट के लिए किसी झटके से कम नहीं थी, 25 साल में उम्र में कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुका ये धाकड़ विकेटकीपर बल्लेबाज खून से सना मिला।
Rishabh Pant Life Story
कार का वो भयानक हादसा जिसने भी देखा सन्न रह गया। लेकिन ये पहाड़ी शेर, शेर की मानिंद ही कार के शीशे तोड़कर बाहर निकला, चेहरे पर कोई शिकन नहीं, दर्द को कोई भाव नहीं...मानो क्रिकेट की दुनिया से कह रहा हो…रुकिए मेरा इंतजार कीजिए, मैं आ रहा हूं। ऋषभ पंत ने ऐसे कई हादसे अपनी जिंदगी में झेले, यूं कहिए कि हादसों से पंगा लेना ऋषभ का शगल है। मुश्किल परिस्थितियों से कैसे लड़ना है? ऋषभ बखूबी जानते हैं। शायद ये ही वजह है कि जब 2017 में उनके पिता का देहांत हुआ था। उनके बाद वो टूटे नहीं थे और अगले दिन अपनी टीम के लिए मैदान में उतरे थे। गौर कीजिए..2017 में आईपीएल के दौरान ऋषभ पंत ने अपने पिता को खोया था। 4 अप्रैल 2017 को ऋषभ के पिता का आकस्मिक निधन हो गया था। अंतिम संस्कार के लिए उन्हें टीम का साथ छोड़कर रुड़की जाना पड़ा था। महज 20 की उम्र में पिता ने साथ छोड़ा, ये किसी सदमे से कम नहीं था। ऋषभ ने पिता का अंतिम संस्कार किया और मैदान पर लौटे। लौटते ही दिल्ली डेयरडेविल्स के लिये तूफानी अर्धशतकीय पारी खेली।
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ऋषभ की इस जीवटता को भारतीय टीम के खिलाड़ी अच्छी तरहब जानते हैं। चाहे हाल ही में दोहरा शतक लगाने वाले ईशान किशन हों, चाहे वर्ल्ड टी-20 क्रिकेट के बेस्ट बैट्समैन सूर्य कुमार य़ादव हों या फिर टीम के गुरु राहुल द्रविड़ ही क्यों न हो…हर कोई ऋषभ को पुकार रहा है, कह रहा है…आजा मेरे शेर…एक बार फिर से विकेट के पीछे अपनी फुर्ती और विकेट के आगे बल्ले का दम दिखाने आजा…आजा मेरे ऋषभ।
ऋषभ…तुम मानो या ना मानो…हम जानते हैं कि तुम लौटोगे, जल्द मैदान पर तुम्हारी वापसी होगी। लेकिन इस बार संभलकर मेरे भाई। तुम अपने मां-पिता की उम्मीद हो, तुम बहन का हौसला हो, देश का भरोसा हो। इसलिए उठो…मैदान पर लौटो, पुराने, रिकॉर्ड तोड़ो, नए रिकॉर्ड बनाओ...अपने खेल से दुनिया को दिखाओ कि एक फाइटर हमेशा जीतता है।