चमोली: राज्य सरकार लोककला और लोक कलाकारों के संरक्षण के दावे करते नहीं थकती, लेकिन इन दावों की हकीकत क्या है, ये आप पौड़ी जिले में देख सकते हैं। जहां लोक कलाकार रामलाल बीमारी की हालत में आर्थिक मदद की राह तक रहे हैं।
Kidney failure of Uttarakhand folk artist Ramlal
रामलाल की एक किडनी फेल हो चुकी है, दूसरी किडनी पर भी बीमारी का असर पड़ा है। जो कुछ जमापूंजी थी, वो इलाज में खर्च हो गई। रामलाल पारंपरिक लोकविधा के साथ ही जागर गाने के लिए जाने जाते हैं। वो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। आज रामलाल बिस्तर पर पड़े हैं। उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय बनी हुई है। मूलरूप से चमोली जिले के रहने वाले रामलाल लंबे वक्त से बीमार हैं। लोककला और टेलरिंग ही उनकी आजीविका का स्त्रोत हुआ करती थी, लेकिन बीते डेढ़ साल से रामलाल के बीमार होने के चलते ये स्त्रोत भी खत्म हो गया। रामलाल जाने-माने लोक कलाकार हैं। आगे पढ़िए
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उन्होंने 19 साल की उम्र से ही उत्तराखंड की पारंपरिक लोक संगीत की विधा में काम करना शुरू कर दिया था। डेढ़ साल पहले उन्हें पेट में दर्द की शिकायत हुई। बदन में सूजन भी थी। अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि एक किडनी फेल हो चुकी है। दूसरी किडनी भी बीमारी से प्रभावित हो रही है। वो हफ्ते मे दो बार डायलिसिस के लिए श्रीनगर के अस्पताल में जाते हैं। रामलाल की पत्नी सीता देवी गृहणी है, जबकि बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। रामलाल कहते हैं कि डायलिसिस निशुल्क हो रहा है, लेकिन हर महीने की दवा पर 9 हजार और कमरे के किराये के रूप में 4000 रुपये देने पड़ रहे हैं। हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। रामलाल और उनके परिवार की ये दशा देख प्रधानाचार्य कमलेश मिश्रा और मनीषा ध्यानी ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। राज्य समीक्षा के माध्यम से हम सरकार और स्वयंसेवी संगठनों से रामलाल की मदद की अपील करते हैं। जितना संभव हो रामलाल की मदद करें, दुख की घड़ी में उनका साथ दें।