उत्तराखंड चमोलीBadrinath Dham Ghee Blanket Tradition

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलते ही मिला शुभ संकेत, तीर्थ पुरोहितों ने कहा- चमत्कार

इस बार जब कपाट खुले, तो उस कंबल का घी वैसा ही ताजा मिला। तीर्थ पुरोहित इसे देश के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं।

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Image: Badrinath Dham Ghee Blanket Tradition (Source: Social Media)

चमोली: बद्रीनाथ के कपाट खुलने का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा था। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद आखिरकार बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुल गए हैं।

Good news from Badrinath Dham

गुरुवार सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर बर्फबारी के बीच बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले। इस दौरान वहां 10 हजार से भी ज्यादा श्रद्धालु मौजूद रहे। इस बार धाम के कपाट खुलने पर एक शुभ संकेत मिला है जिसे सुनकर सभी पुजारियों के बीच में खुशी की लहर है। धाम के कपाट खुलने के बाद कुछ ऐसा देखा गया, जिसे पुरोहितों ने चमत्कार और शुभ संकेत बताया। दरअसल बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद करते समय भगवान को एकघृत कंबल (देसी घी में भिगोया गया ऊन का कंबल) ओढ़ाया जाता है। इस बार जब कपाट खुले, तो उस कंबल का घी वैसा ही ताजा मिला। तीर्थ पुरोहित इसे देश के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं। वहीं अगर कंबल का घी ज्यादा नहीं सूखा है, तो माना जाता है कि उस साल देश में खुशहाली रहेगी। आगे जानिए इस कंबल के बारे में बड़ी बातें

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अगर कंबल का घी पूरी तरह सूख गया है या कम हो गया है, तो उसे अशुभ संकेत माना जाता है और अच्छी बात यह है कि बद्रीनाथ में जैसे ही कपाट खुले तो यह देखा गया कि कंबल पूरी तरह ताजा है।बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल ने बताया कि घृत कंबल पर घी ताजा मिलने का मतलब है कि देश में खुशहाली बनी रहेगी। बीते साल भी कंबल पर लगा घी ताजा मिला था। अचंभित करने वाली बात नहीं है कि बद्रीनाथ धाम में तकरीबन रोजाना ही बर्फबारी रहती है और मौसम बेहद शुष्क रहता है। बाहर इतनी बर्फबारी के बाद ठंड होने के बाद भी अगर घी सूखता नहीं है, तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।