हल्द्वानी: हम सभी पर्यावरण संरक्षण की बात तो करते हैं, लेकिन जब धरातल पर काम करने की जरूरत होती है तो ज्यादातर लोग बगलें झांकने लगते हैं।
Haldwani Chandan Planted 53 Thousand Trees
जैसे-तैसे कोई पौधे लगा भी देता है तो उसके संरक्षण की ओर ध्यान नहीं देता, लेकिन उत्तराखंड के चंदन नयाल किसी और ही मिट्टी के बने हैं। इन्हें प्रकृति से कुछ इस कदर लगाव है कि इन्होंने अपनी मेहनत से एक जंगल खड़ा कर दिया। और तो और चंदन ने अपनी देह भी दान कर दी है, ताकि उनके अंतिम संस्कार में किसी लकड़ी का इस्तेमाल न हो। चंदन हल्द्वानी क्षेत्र में ओखलकांडा ब्लॉक के नाई गांव में रहते हैं। उन्होंने एक दशक की कड़ी मेहनत से मिश्रित जंगल विकसित किया है, साथ ही निर्जल हो चुके जल स्त्रोतों का संरक्षण भी कर रहे हैं। 30 साल के चंदन बताते हैं कि पहले वो गांव के बाहर नैनीताल, रामनगर और हल्द्वानी में रहते थे। गर्मियों की छुट्टियों में वो जब गांव आते थे तो लगभग हर साल जंगल में लगी आग से सामना होता था। बाद में चंदन ने पॉलिटेक्निक किया, वो चाहते तो शहर जाकर अच्छी नौकरी कर सकते थे, लेकिन जलते जंगल और सूखते जलस्त्रोतों ने उन्हें गांव में रोक लिया। आगे पढ़िए
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बीते दस साल में वह क्षेत्र में 53 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। ग्राम पंचायत के चामा तोक में वह युवा और महिला सहायता समूहों की मदद से करीब चार हेक्टेयर में मिश्रित वन विकसित कर रहे हैं। उन्होंने नर्सरी भी तैयार की है, जहां से उन्होंने अब तक लोगों को करीब 60000 पौधे बांटे हैं। चंदन अब तक 12 हेक्टेयर भूमि में 5200 से अधिक चाल खाल और खंतियां बना चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण के लिए किए गए चंदन के प्रयासों की सराहना कर चुके हैं। जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से उन्हें 23 जुलाई 2021 में 'वाटर हीरो के अवार्ड से नवाजा जा चुका है। चंदन बताते हैं कि कुछ साल पहले उनकी मां का निधन हो गया था, तब से वह प्रकृति को ही अपनी मां और ईश्वर मानते हैं। चंदन के निधन पर कोई लकड़ी न जले इसलिए Haldwani Chandan Nayal ने चार साल पहले अपनी देह मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी को दान कर दी है। ये विडियो भी देखिये...