उत्तराखंड रुद्रप्रयागAll You Need To Know About Panchkedar Of Uttarakhand

उत्तराखंड के पंचकेदारों में बसे हैं महादेव के शरीर के 5 हिस्से, 2 मिनट में आप भी जानिए

देवभूमि उत्तराखंड को पंचकेदार की धरती कहा जाता है। जहां भगवान केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ व कल्पेश्वर में आज भी भगवान शिव साक्षात रूप में विराजमान हैं।

Uttarakhand Panchkedar Story: All You Need To Know About Panchkedar Of Uttarakhand
Image: All You Need To Know About Panchkedar Of Uttarakhand (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड को भगवान शिव की भूमि कहा जाता है। यहां भगवान शिव ने कई लीलाएं रचीं, यही वजह है कि जो भी श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन की कामना से आता है, उसे यहां शिवत्व का अहसास जरूर होता है।

All You Need To Know About Panchkedar Of Uttarakhand

श्रावण मास शुरू हो गया है, इसी के साथ श्रद्धालु दूर-दूर से भगवान भोलेनाथ के दर्शनों के लिए उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। शिव के धामों में सबसे प्रसिद्ध धाम केदारनाथ में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है, लेकिन उत्तराखंड में केदारनाथ के अलावा चार अन्य केदार भी हैं। इस तरह देवभूमि को पंचकेदार की धरती कहा जाता है। जहां भगवान केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ व कल्पेश्वर में आज भी भगवान शिव साक्षात रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि जब पांडवों से बचने के लिए भगवान शिव बैल के रूप में अंर्तध्यान हुए तो उनके धड़ से ऊपर का हिस्सा काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है। यहां भगवान शिव के भव्य मंदिर बने हुए हैं। आगे पढ़िए

केदारनाथ

पंच केदारों में प्रथम केदारनाथ शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है। यहां भगवान के स्वयंभू लिंग के पृष्ठ भाग की पूजा होती है। साथ ही प्रतिदिन आराध्य को भोग लगाया जाता है। केदारनाथ समुद्रतल से 11500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर नागर शैली में बना है।

मद्महेश्वर

द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम में भगवान शिव के नाभि भाग की पूजा होती है। यहां मंदिर के ऊपरी तरफ बूढ़ा मद्महेश्वर, क्षेत्रपाल मंदिर, हिवाली देवी मंदिर हैं। मद्महेश्वर धाम समुद्रतल से 9700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

तुंगनाथ

तुंगनाथ धाम को तृतीय केदार के रूप में मान्यता मिली है। यहां भगवान शिव के बाहु भाग की पूजा होती है। यह मंदिर समुद्रतल से 12070 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। श्रद्धालु यहां भूतनी देवी और भैरोनाथ मंदिर में भी पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।

रुद्रनाथ

रुद्रनाथ पहुंचने के लिए चमोली-गोपेश्वर मार्ग पर सगर गांव से 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। भगवान शिव का यह धाम समुद्रतल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। रुद्रनाथ धाम में भगवान शिव के मुख भाग की पूजा होती है।

कल्पेश्वर

कल्पेश्वर धाम में भगवान शिव की जटाओं की पूजा होती है। यह गुफानुमा मंदिर है, जो कि बदरीनाथ राजमार्ग से लिंक हेलंग-उर्गम मोटर मार्ग पर उर्गम से एक किमी की पैदल दूरी पर स्थित है।