उत्तराखंड देहरादूनRazia will become a member of Uttarakhand Waqf Board

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में शामिल होंगी रजिया, संस्कृत में करेंगी कुरान का अनुवाद

रजिया ने तोड़ी रूढ़िवादी सोच, कुरान का संस्कृत में करेंगी अनुवाद, जानें कौन है रजिया, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में किया जाएगा शामिल

Uttarakhand Waqf Board Razia: Razia will become a member of Uttarakhand Waqf Board
Image: Razia will become a member of Uttarakhand Waqf Board (Source: Social Media)

देहरादून: यूपी के सहारनपुर जिले के प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रजिया सुल्ताना को एक अहम ज़िम्मेदारी दी जा रही है।

Razia will become member of Uttarakhand Waqf Board

उन्हें उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की शिक्षा समिति में सदस्य बनाया जाएगा। रज़िया मुस्लिम हैं, बावजूद इसके उन्होंने सभी चैलेंज का मुकाबला करते हुए संस्कृत विषय चुना। अब उनको उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का मेंबर बनाया जाएगा। रजिया के पिता मोहम्मद सुलेमान देवबंद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उन्होंने कुरान शरीफ का हिंदी में अनुवाद किया था। वे चाहते थे कि रजिया इसका संस्कृत में अनुवाद करे। रज़िया ने कहा कि अब्बा न होते तो संस्कृत से पढ़ाई करने में शायद मुश्किल होती। पढ़ाई में शुरुआत से ठीक थीं। अब्बा ने कुरान शरीफ का हिंदी में अनुवाद किया था। वे चाहते थे मैं संस्कृत में अनुवाद करूं। रजिया एमए संस्कृत से करने के बाद अब पीएचडी कर रही हैं। रजिया के मुताबिक, उनके अब्बा मोहम्मद सुलेमान देवबंद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उन्होंने कुरान शरीफ का हिंदी में अनुवाद किया था। उन्होंने बताया कि मुस्लिम होकर संस्कृत पढ़ना आसान नहीं था। हर कदम पर उनके इस डिज़ीजन का मज़ाक उड़ाया जाता था। आगे पढ़िए

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उनकी पढ़ाई के दौरान शुरुआत में संस्कृत पढ़ता देख लोग यह कहते थे कि संस्कृत पढ़कर पंडिताई करेगी, लेकिन उन्होंने पक्का मन बना लिया था कि उनको संस्कृत से ही आगे की पढ़ाई करनी है। वे शिक्षिका बनना चाहती थी। एमए संस्कृत से करने के बाद रजिया वर्तमान में यूपी के सहारनपुर के प्राथमिक विद्यालय सहाबुद्दीनपुर में प्रधानाध्यापिका है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के मुताबिक, रजिया को मदरसों में शिक्षा की बेहतरी के लिए बनाई जाने वाली शिक्षा समिति में सदस्य बनाया जाएगा।
वक्फ क्या है?
वक्फ किसी की संपत्ति का एक हिस्सा - नकदी या वस्तु के रूप में - अल्लाह को स्वैच्छिक, स्थायी, अपरिवर्तनीय समर्पण है। एक बार वक्फ करने के बाद, यह कभी उपहार में नहीं दिया जाता, विरासत में नहीं मिलता, या बेचा नहीं जाता। यह अल्लाह का है और वक्फ का कोष हमेशा रहता है बरकरार। उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड का गठन हुए 20 साल हो चुके हैं।उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का कहना है कि उत्तराखंड के मदरसों को हाईटेक बनाया जाएगा। मदरसों में शिक्षा की बेहतरी के लिए सरकार एक कमेटी बनाने जा रही हैं, जिसमें कई क्षेत्रों के प्रमुख लोगों को शामिल किया जाएगा। यह कमेटी सरकार को अपने सुझाव देगी।