टिहरी गढ़वाल: उत्तराखंड का टिहरी जिला परियों के निवास स्थल खैट पर्वत और टिहरी डैम के अलावा एक और चीज के लिए मशहूर है, और वो है यहां की प्रसिद्ध सिंगोरी मिठाई।
Uttarakhand Singori Sweet Recipe
त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है, इसी के साथ सिंगोरी की डिमांड भी बढ़ गई है। यहां हर त्योहार और शादी ब्याह के अवसर पर सिंगोरी का स्वाद लिया जाता है। बाहर से आने वाले पर्यटकों को भी उत्तराखंड की ये मिठाई बेहद पसंद है। सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने भी अपने गीतों में सिंगोरी के स्वाद का जिक्र किया है। मालू के पत्तों में लिपटी ये मिठाई जो भी चखता है, वो इसका दीवाना बन जाता है। अन्य मिठाइयों के बजाए इस मिठाई को अलग तरह से तैयार किया जाता है, इसके लिए काफी तैयारी करनी पड़ती है। आगे पढ़िए
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सिंगोरी को मालू के पत्तों पर लपेटकर तैयार किया जाता है। खास बात ये है कि मालू की बेल भी केवल पहाड़ों में पायी जाती है। सबसे पहले मालू के पत्तों को साफ किया जाता है, उसके बाद पत्ते को लपेटकर उनके अंदर मावा भरकर सिंगोरी तैयारी की जाती है। मालू के पत्ते से इस मिठाई का स्वाद बढ़ जाता है। सिंगोरी स्वाद से भरपूर होने के साथ ही पर्यावरण को सहेजने में भी मदद करती है। मिठाई विक्रेता बताते हैं कि सिंगोरी मिठाई खाने के बाद इसके पत्तों को सड़ाकर इसकी खाद भी तैयार की जा सकती है। पुरानी टिहरी में ये मिठाई बेहद प्रसिद्ध रही और नई टिहरी में भी इसका रुतबा बरकरार है। यहां बनी सिंगोरी देहरादून से लेकर दिल्ली तक पहुंच रही है। नई टिहरी आने वाले लोग यहां से याद के तौर पर सिंगोरी मिठाई अपने साथ लेकर जाते हैं।