उत्तराखंड उत्तरकाशीLandslide behind the tunnel in Gangotri Highway

Uttarakhand news: सिलक्यारा के बाद गंगोत्री हाईवे से मिला रेड सिग्नल, ओपन टनल के पीछे भूस्खलन

Gangotri Highway Tunnel Landslide ओपन टनल के पीछे लगातार भूस्खलन हो रहा है, और मलबे से टनल की दीवार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

Gangotri Highway Tunnel Landslide: Landslide behind the tunnel in Gangotri Highway
Image: Landslide behind the tunnel in Gangotri Highway (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में चल रही बड़ी सड़क परियोजनाओं को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं।

Landslide behind the tunnel in Gangotri Highway

पिछले दिनों उत्तरकाशी के सिलक्यारा में क्या हुआ, ये सबने देखा। यहां टनल में फंसे 41 लोगों की जान मुश्किल से बचाई जा सकी। अब गंगोत्री हाईवे से खतरे के संकेत मिले हैं। यहां ओपन टनल के पीछे लगातार भूस्खलन हो रहा है। फिर भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा। ये अनदेखी भविष्य में बड़े हादसे का सबब बन सकती है। गंगोत्री हाईवे पर बनी ओपन सुरंग के आसपास लगातार भूस्खलन हो रहा है। एनएचआईडीसीएल ने टनल के नीचे भूस्खलन प्रभावित हिस्से का उपचार भी कराया था, लेकिन टनल के पीछे भूस्खलन प्रभावित हिस्से को बिना उपचार के ही छोड़ दिया गया है। जिससे यहां दिनों दिन भूस्खलन हो रहा है, और मलबे से टनल की दीवार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। यहां आपको साल 2010 में हुई एक घटना के बारे में बताते हैं। इस साल जिला मुख्यालय से गुजरने वाले गंगोत्री हाईवे पर चुंगी बड़ेथी क्षेत्र में भूस्खलन की घटना घटी। तब एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड) ने 28 करोड़ रुपये की लागत से भूस्खलन प्रभावित पहाड़ी का उपचार कराया, लेकिन यह कारगर नहीं हुआ। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

यहां दोबारा 28.3 करोड़ रुपये की लागत से सड़क सुरक्षा गैलरी के रूप में ओपन टनल बनाई गई। साल 2021 में ओपन टनल बनकर तैयार हुई और इसी साल अगस्त में यहां पहली बार भूस्खलन हुआ। तब भागीरथी नदी के किनारे ओपन टनल से लगा 50 मीटर हिस्सा गिरकर नदी में समा गया था। इसी साल जुलाई में यहां टनल के पीछे फिर भूस्खलन हुआ। तब एनएचआईडीसीएल ने टनल के नीचे भूस्खलन प्रभावित हिस्से का रॉक बोल्टिंग कर ट्रीटमेंट कराया, लेकिन सुरंग के पिछले हिस्से की ओर ध्यान नहीं दिया गया, जहां भूस्खलन का मलबा भरा हुआ है। यहां भारी मात्रा में मलबा आकर टनल की दीवार से लग गया है। जिससे टनल की दीवार पर दबाव पड़ रहा है। भूस्खलन प्रभावित पहाड़ी के ढाल के ट्रीटमेंट पर अब तक करोड़ों खर्च किए गए, लेकिन तीन साल भी यह ट्रीटमेंट भूस्खलन को थामे नहीं रख सका। उधर, एनएचआईडीसीएल के अधिशासी निदेशक कर्नल संदीप सुदेहरा का कहना है कि टनल के पीछे भूस्खलन हो रहा है, तो इससे टनल (Gangotri Highway Tunnel Landslide) को कोई दिक्कत नहीं है। फिर भी इसे दिखवा लिया जाएगा। ओपन टनल को भूस्खलन की रोकथाम के लिए डिजाइन किया गया है।