उत्तराखंड देहरादूनHousing project map will not change without the consent of the owners

बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए नया नियम लागू, बिना मालिकों की मर्जी के नहीं बदलेगा नक्शा

उत्तराखंड में बिल्डर किसी भी हाउसिंग प्रोजेक्ट का नक्शा दो तिहाई मालिकों (आवंटियों) की मर्जी के बिना नहीं बदल सकेगा।

Housing projects map uttarakhand: Housing project map will not change without the consent of the owners
Image: Housing project map will not change without the consent of the owners (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में चल रहे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के निर्माण के दौरान बिल्डर की मनमानी के मामले लगातार सामने आते रहे हैं।

New rule implemented to stop arbitrariness of builders

बिल्डरों पर मनमानी करते हुए नक्शे में बदलाव करने के आरोप लगे हैं। इसे रोकने के लिए अब शासन ने प्राधिकरणों को चेताया है। साथ ही कहा है कि बिल्डर किसी भी हाउसिंग प्रोजेक्ट का नक्शा दो तिहाई मालिकों (आवंटियों) की मर्जी के बिना नहीं बदल सकेगा। शासन की ओर से प्राधिकरणों को भेजे लेटर में स्पष्ट किया गया है कि पांच वर्ष पूरे होने के बाद नक्शे की अवधि को एक-एक साल के लिए अधिकतम तीन बार ही बढ़ाया जा सकेगा। इस तरह बिल्डरों को बिना सहमति संशोधन की अनुमति नहीं मिल सकेगी। आवास विभाग ने सभी जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण, एमडीडीए, एचआरडीए, उडा, सीडा, उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद, टाउन प्लानिंग विभाग को निर्देश जारी किए हैं।

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इसमें स्पष्ट कर दिया गया कि उत्तराखंड भू-संपदा विनियम एवं विकास एक्ट 2016 और उत्तराखंड भू-संपदा विनियम एवं विकास सामान्य नियमावली 2017 के प्रावधानों के तहत बिल्डिंग के नक्शे में परिवर्तन के लिए दो तिहाई आवंटियों की सहमति सुनिश्चित की जाए। इसके बाद ही संशोधन की अनुमति दी जाए। बता दें कि प्रदेशभर से शासन को ये शिकायत मिल रही है कि हाउसिंग प्रोजेक्टों के निर्माण के दौरान बिल्डर मनमानी करते हुए नक्शे में बदलाव कर रहे हैं। इस स्थिति में परियोजना के मूल स्वीकृत नक्शे की वैधता तिथि एवं अवधि विस्तारित मानचित्र की स्वीकृत तिथि के बीच अंतर आ रहा है। इससे उत्तराखंड भू-संपदा नियामक प्राधिकरण में पंजीकृत रियल इस्टेट परियोजनाओं को अवधि विस्तार देते समय परेशानी आ रही है। अब शासन की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक बिल्डर किसी भी हाउसिंग प्रोजेक्ट का नक्शा दो तिहाई मालिकों (आवंटियों) की मर्जी के बिना नहीं बदल सकेगा।