रुद्रप्रयाग: इस वर्ष कपाट खुलते ही यात्रियों की भीड़ ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए मगर जो हाथ भगवान की आस्था के लिए उठने थे उन हाथों में अब मोबाइल फोन नज़र आते हैं। बीते वर्ष जब रील्स बनाने वालों ने हदें पार कर दी थी तो मंदिर समिति द्वारा वीडियो/फोटोग्राफी प्रतिबंधित के बोर्ड लगे थे लेकिन इस बार वो कहीं नहीं दिख रहे। प्रशासन को इस बार भी कड़े प्रतिबन्ध लगाने चाहिए।
Youth Making Reels Beaten Up in Kedarnath Dham
उत्तराखंड में चारों धामों के कपाट खुल चुके हैं लेकिन बताया जा रहा है कि साल 2013 की आपदा के बाद से यहाँ पर सच्ची आस्था रखने वाले भगतों में कमी देखने को मिली है और दूसरी तरफ रील्स बनाने और फोटो खिंचवाने वाले भक्तों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। पिछले सीजन में कई प्रकार की अनुचित रील्स वायरल हुई थी जिसके बाद मंदिर समिति ने रील्स न बनाने वाले और मर्यादित कपड़े पहनने वाले बोर्ड लगाये थे, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं दिख रहा। रील्स बनाने वाले भक्तों की भरमार है।
ढोल नगाड़े बजाते युवाओं की हुई पिटाई
कल सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ जिसमें कुछ युवक यात्री ढोल बजाते हुए तेज ध्वनि में नाच रहे थे और वीडियो भी बना रहे थे। लेकिन जैसे ही मंदिर समिति को इसका पता चला तो उन्होंने तुरंत उनके सामन को फेंकते हुए उन्हें यहाँ ये सब करने से मना किया और अन्य यात्रियों को भी सन्देश दिया है कि धाम में सिर्फ दर्शन के लिए ही आएं न कि सोशल मीडिया पर दिखावा करने के लिए।
तीर्थाटन को पर्यटन न बनाएं
तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि आपदा से पहले यात्रा में अधिकांशतः बुजुर्ग यात्री आते थे लेकिन आपदा आने के बाद यात्री भक्ति से कम और पर्यटन की दृष्टि से आ रहे हैं। यात्रा के लिए लाखों लोगों ने रजिस्ट्रेशन तो करवाया है लेकिन वर्तमान में यात्रा तीर्थाटन के बजाय पर्यटन का रूप धारण कर रही है। यात्रा को लेकर पौराणिक परंपराएं समाप्त हो रही हैं। मंदिर समिति, सरकार और तीर्थ पुरोहितों को तीर्थाटन पर ध्यान देना चाहिये और लोगों को तीर्थ की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए।