देहरादून: उत्तराखंड छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गीताराम नौटियाल और DSWO देहरादून अनुराग शंखधर समेत आठ लोगों के खिलाफ ईडी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। इन आठ लोगों में एक शिक्षण संस्थान के तीन लोग भी शामिल हैं। सभी आरोपियों पर चार्जशीट में मनी लॉन्डि्रंग के आरोप है। 30 अगस्त को स्पेशल कोर्ट ईडी इस चार्जशीट पर संज्ञान लेगा।
ED grips on 8 people in Rs 100 crore scholarship scam
साल 2017 में उत्तराखंड के समाज कल्याण विभाग में घोटाले की बातें सामने आईं थी। कई सौ करोड़ रुपयों के छात्रवृत्ति घोटाले की खबरों के बाद साल 2019 में एसआईटी का गठन किया गया। हरिद्वार और देहरादून के कई शिक्षण संस्थानों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी ने 100 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज किए। अब इन मुकदमो में पुलिस एसआईटी की जांच पूरी होने के बाद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। ईडी ने भी इस मामले का संज्ञान एसआईटी की जांच के बीच ही लिया था और साल 2022 से ही ईडी ने घोटाले में शामिल सभी शिक्षण संस्थानों, पदाधिकारियों और सरकारी अधिकारियों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया था।
समाज कल्याण विभाग के छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपियों से कई दौर की पूछताछ भी हो चुकी है। कई शिक्षण संस्थानों की करोड़ों रुपये की संपत्तियों अटैच की जा चुकी है। ईडी ने पहले दौर की चार्जशीट स्पेशल ईडी कोर्ट में दाखिल कर दी है। ED ने आरोप लगाया कि घोटाले से प्राप्त धन को मनी लॉन्डि्रंग में भी लगाया गया है। सूत्रों के मुताबिक ग्रामोद्योग विकास संस्थान ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल, सचिव संजय बंसल, कोषाध्यक्ष नरुद्दीन गाजी, तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर, डिप्टी डायरेक्टर गीताराम नौटियाल, सहायक समाज कल्याण अधिकारी सोमप्रकाश, मुनेश कुमार और विनोद कुमार नैथानी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डि्रंग एक्ट-2002 (पीएमएलए) के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है। 30 अगस्त को इस चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान लेगा।
100 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला: SIT
2017 में छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग में ऊपर से नीचे तक हडकंप मच गया था। शामिल अधिकारियों और अन्य लोगों ने खुद को बचाने की खूब कोशिशें की पर SIT गठित होने और हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद कई सौ करोड़ के घोटाले की परतें खुलती चली गईं। पता चला कि जो एससी-एसटी के छात्र कभी शिक्षण संस्थान पहुंचे ही नहीं उनके नाम पर करोड़ों की छात्रवृत्ति की बंदरबांट कर ली गई। इसमें उत्तराखंड के अलावा कई राज्यों के शिक्षण संस्थान शामिल थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसआईटी ने जांच में ये घोटाला करीब 100 करोड़ रुपये का पाया है।