रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड सरकार ने 'मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना' के तहत 200 करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू करने की तैयारी की है। इस योजना का उद्देश्य राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देना और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के नए अवसर पैदा करना है।
200 Crore to grow Trout Fish Farming in Uttarakhand
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ते पलायन को रोकने के लिए सरकार लगातार नए रास्ते तलाश रही है। इस प्रयास के तहत मत्स्य पालन को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से 200 करोड़ रुपए की योजनाएं लागू करने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत राज्य के 10 पर्वतीय जिलों में कोल्ड रनिंग वाटर में ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही राज्यभर में कोल्ड चेन स्थापित की जाएगी जिससे मछली को आसानी से अन्य राज्यों में भेजा जा सके।
पिछले वर्ष 9000 मीट्रिक टन मछली का हुआ उत्पादन
उत्तराखंड की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राज्य में आर्थिक संसाधन सीमित हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने मत्स्य पालन को एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि के रूप में बढ़ावा देने पर जोर दिया है। वर्तमान में उत्तराखंड में पिछले साल लगभग 9000 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ जिसमें से 950 मीट्रिक टन ट्राउट फिश का उत्पादन शामिल है। सरकार का फोकस अब मत्स्य संपदा योजना के तहत ट्राउट फिश के उत्पादन को बढ़ाने पर है, क्योंकि ठंडे पानी में पाई जाने वाली यह मछली न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसकी कीमत और मांग भी काफी अधिक है। इस स्थिति को देखते हुए, सरकार किसानों को सब्सिडी के माध्यम से ट्राउट फिश उत्पादन में शामिल करने की योजना बना रही है, ताकि वे इस उच्च मांग वाली मछली के उत्पादन से अपनी आय बढ़ा सकें।
ट्राउट फिश के बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ
ट्राउट फिश अपने बेहतरीन स्वाद और औषधीय गुणों के लिए मशहूर है जिससे लोग इसे बड़ी रुचि से खरीदते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह मछली दिल के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होती है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है जो एक दुर्लभ और आवश्यक पोषक तत्व है। ट्राउट फिश हृदय रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि यह हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। इस मछली को ठंडे और मीठे पानी में पाला जाता है और इसे आसानी से पोखर या तालाब में भी उगाया जा सकता है। ट्राउट फिश सामान्यतः पहाड़ी इलाकों की साफ जलधाराओं में पाई जाती है। इसके ब्रीडिंग का सीजन विशेष रूप से नवंबर से फरवरी तक होता है जब इसकी संख्या और गुणवत्ता में वृद्धि देखी जाती है।