देहरादून: ला नीना का प्रभाव उत्तराखंड में अत्यधिक बढ़ गया है, जिससे पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है। इस बारिश के कारण विभिन्न स्थानों पर जलभराव हो गया है और लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
La Nina and Heavy Rainfall in Uttarakhand
उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से तेज और हल्की बारिश का सिलसिला जारी है, जिससे भूस्खलन और नदी-नाले उफान पर हैं, प्रदेश में कई सड़कें बंद हो चुकी हैं और दो दिनों से बच्चों के स्कूल भी बंद किए गए हैं। यह सब ला नीना का प्रभाव है, पहाड़ों और तराई-भाबर में इस बार सामान्य से 15 से 20 प्रतिशत अधिक बारिश की संभावना है। जून को छोड़ दिया जाए तो जुलाई और अगस्त में भी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार ला नीना का प्रभाव चरम पर है जिससे अत्यधिक बारिश हो रही है। हालांकि जलवायु परिवर्तन के कारण भी बारिश का समय अनिश्चित हो गया है।
कड़कड़ाती ठंड के लिए भी रहिये तैयार
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के दीर्घावधि पूर्वानुमानों के Global observatories की ओर से बुधवार को जारी नवीनतम पूर्वानुमानों में कुछ खास संकेत मिले हैं। इन संकेतों के अनुसार सितंबर से नवंबर 2024 के दौरान वर्तमान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) से ला नीना स्थितियों में परिवर्तित होने की 55 प्रतिशत संभावना है। जिससे देश के उत्तरी भागों में सामान्य से अधिक ठंडी पड़ने की संभावनाएं हैं।
जानिए क्या है ‘ला नीना’ और ‘अल नीनो’
यह प्रशांत महासागर में होने वाला एक मौसम पैटर्न है जिसमें तेज हवाएं समुद्र की सतह से गर्म पानी को हटा देती हैं। ला नीना के प्रभाव से भारत में मानसून पर असर पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप आमतौर पर अधिक बारिश होती है। स्पैनिश में अल नीनो का अर्थ ‘छोटा लड़का’ और ला नीना का अर्थ ‘छोटी लड़की’ होता है। ये दोनों मौसम पैटर्न एक-दूसरे के विपरीत होते हैं, ला नीना पूर्वी प्रशांत में पानी को ठंडा कर देती है, जबकि अल नीनो उसे गर्म कर देता है। ला नीना के दौरान सूखे का सामना करने वाले क्षेत्र एल नीनो के दौरान भारी बारिश का अनुभव कर सकते हैं। इस साल ला नीना की ये बारिश अक्टूबर तक चलने वाली है।