श्रीनगर गढ़वाल: खड़ा दीया अनुष्ठान करने वाले दंपतियों के लिए मान्यता है कि इससे उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इस अनुष्ठान की तैयारी मंदिर प्रशासन ने अभी से आरंभ कर दी है। साथ ही कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए पंजीकरण भी शुरू हो गया है।
Registration For Diya Ritual Started in Kamleshwar Mahadev Temple
कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए पंजीकरण कराने के लिए निसंतान दंपतियों में उत्साह देखने को मिल रहा है। अब तक देश के विभिन्न हिस्सों से 46 दंपतियों ने पंजीकरण करवा लिया है। जो लोग इस अनुष्ठान में शामिल होना चाहते हैं, वे 14 नवंबर को दोपहर 3 बजे तक पंजीकरण करा सकते हैं। महंत आशुतोष पुरी ने जानकारी दी कि इस विशेष दिन खड़ा दीया अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा। पंजीकरण करवाने वालों में चेन्नई, जयपुर, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, नोएडा और उत्तराखंड के 49 दंपति शामिल हैं। पिछले वर्ष 2023 में 175 निसंतान दंपतियों ने इस अनुष्ठान के लिए पंजीकरण करवाया था। इच्छुक दंपति महंत आशुतोष पुरी के संपर्क नंबर 9512324526 पर कॉल करके पंजीकरण करवा सकते हैं। सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर और बाहरी द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और परिसर को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है। इस बार बैकुंठ चतुर्दशी पर होने वाला यह अनुष्ठान विशेष रूप से भव्य होने की उम्मीद है।
संतान की कामना और खड़ा दीया अनुष्ठान की पवित्र परंपरा
हर साल कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी की रात कमलेश्वर महादेव मंदिर में दंपति संतान की कामना के लिए भगवान शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने दानवों पर विजय पाने के लिए श्रीनगर के कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव से वरदान प्राप्त करने के लिए तप किया था। इस दौरान भगवान विष्णु ने शिव के जाप करते हुए एक हजार कमल के पुष्प अर्पित किए, लेकिन भगवान शिव ने विष्णु की परीक्षा लेने के लिए एक कमल छिपा दिया। इससे यज्ञ में बाधा न आए इसलिए भगवान विष्णु ने अपना एक नेत्र अर्पित करने का संकल्प किया। भगवान भोलेनाथ इस बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु को अमोघ सुदर्शन चक्र का वरदान दिया। इस दौरान एक दंपति जो मंदिर में पूजा कर रहे थे, उन्होंने भगवान शिव की इस लीला को देखा। मां पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने उस दंपति को संतान प्राप्ति का वरदान दिया। तब से बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर दंपति यहां खड़ा दीया अनुष्ठान करते हैं।