उत्तराखंड पिथौरागढ़PYRE Wins Best Audience Award at Tallinn Film Festival

Uttarakhand: पहाड़ से पलायन और बुजुर्ग दंपति के संघर्ष की कहानी, 'पयार' को मिला इंटरनेशनल अवॉर्ड

विनोद कापड़ी की चर्चित फिल्म ‘पायर’ ने टालीन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ ऑडियंस अवार्ड जीतकर दर्शकों का दिल जीत लिया है।

PYRE Wins Best Audience Award: PYRE Wins Best Audience Award at Tallinn Film Festival
Image: PYRE Wins Best Audience Award at Tallinn Film Festival (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: निर्देशक विनोद कापड़ी ने अपनी फिल्म 'पायर' के जरिए पहाड़ का एक गंभीर मुद्दा दिखाया है। यह फिल्म उत्तराखंड के पहाड़ों से युवाओं के पलायन और एक बुजुर्ग दंपति की मुश्किल भरी जिंदगी की कहानी पर आधारित है।

PYRE Wins Best Audience Award at Tallinn Film Festival

विनोद कापड़ी की चर्चित फिल्म 'पायर' ने टालीन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ ऑडियंस अवार्ड जीतकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है। एस्टोनिया के टालीन शहर में हुए इस फेस्टिवल के दौरान दर्शकों ने फिल्म की कहानी और उसके प्रस्तुतीकरण को खूब सराहा। 'पायर' पहाड़ों से पलायन और बुजुर्ग दंपति के संघर्ष की मार्मिक कहानी है। यह फिल्म उत्तराखंड के मुनस्यारी में रहने वाले एक बुजुर्ग जोड़े की सच्ची घटना से प्रेरित है, जिनसे विनोद कापड़ी ने वर्ष 2017 में मुलाकात की थी।

स्थानीय कलाकारों ने बिखेरा अभिनय का जादू

फिल्म की सबसे खास बात इसके स्थानीय कलाकार हैं, जिन्होंने पहली बार कैमरे के सामने अभिनय किया। विनोद कापड़ी ने फिल्म के लिए उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों से हीरा देवी एक बुजुर्ग महिला किसान और पदम सिंह एक सेवानिवृत्त सैनिक को चुना। हीरा देवी जंगल से चारा लाते समय मिली थीं और उनकी सादगी और स्वाभाविक अभिनय ने उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त बना दिया। फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड के बेड़ीनाग और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई, जहां पारंपरिक पहाड़ी घर का सेट तैयार किया गया था।

  • पहली बार विदेश यात्रा और अवार्ड

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    फिल्म के दोनों कलाका, जो पहले कभी कैमरे के सामने नहीं आए थे, उन्होंने न केवल शानदार अभिनय किया बल्कि पहली बार विदेश यात्रा का अनुभव भी किया। पुरस्कार समारोह में पदम सिंह और हीरा देवी पारंपरिक कुमाऊंनी परिधान में पहुंचे और दर्शकों की तालियों के बीच मंच पर अवार्ड ग्रहण किया। फिल्म की टीम ने बताया कि शूटिंग के दौरान दो महीने तक उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में काम किया गया, ताकि कहानी की सच्चाई को पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत किया जा सके। इस जीत के साथ 'पायर' ने न केवल अपनी कहानी बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति और संघर्ष को भी दुनिया के सामने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है।