उत्तराखंड देहरादून93 year old Vimla Bahuguna died

उत्तराखंड: विश्वप्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदर लाल जी की जीवन संगिनी विमला बहुगुणा का देहांत

विमला बहुगुणा एक सर्वोदय कार्यकर्ता थीं और उन्होंने 1953- 55 में बिहार में भूदान आंदोलन में भाग लिया, जहां वह आचार्य विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण और दादा धर्माधिकारी के संपर्क में आईं, जो उनके काम से प्रभावित थे।

Vimla Bahuguna died: 93 year old Vimla Bahuguna died
Image: 93 year old Vimla Bahuguna died (Source: Social Media)

देहरादून: चिपको आंदोलन एवं गांधी विचारों के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी विमला बहुगुणा का देहान्त हो गया है. मुख्यमंत्री ने स्व . बिमला बहुगुणा के शास्त्री नगर स्थित आवास पर जाकर उनकी पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

93 year old Vimla Bahuguna died

बीते 14 फरवरी को 2:10 मिनट पर 93 वर्षीय विमला बहुगुणा दुनिया को अलिवदा कह दिया है। आज शनिवार को मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी स्व . बिमला बहुगुणा के शास्त्री नगर स्थित आवास पर पहुंचे, और उन्होंने बिमला देवी के पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। इस दौरान विधायक श्री उमेश शर्मा काऊ भी मौजूद थे।

भूदान आंदोलन में दिया योगदान

विमला बहुगुणा एक सर्वोदय कार्यकर्ता थीं और उन्होंने 1953- 55 में बिहार में भूदान आंदोलन में भाग लिया, जहां वह आचार्य विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण और दादा धर्माधिकारी के संपर्क में आईं, जो उनके काम से प्रभावित थे।

कौसानी में लक्ष्मी आश्रम को बनाया सशक्त

स्व. बिमला बहुगुणा के बेटे राजीव बहुगुणा ने बीते शुक्रवार को उनकी मौत की जानकारी साझा करते हुए सोशल मिडिया पोस्ट में लिखा है कि, महिला शिक्षा और ग्रामीण भारत में सर्वोदय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, दिसंबर 1946 में अल्मोड़ा जिले के कौसानी में लक्ष्मी आश्रम की स्थापना की गई। इस आश्रम की देखरेख की जिम्मेदारी सरला बेन की थी जो कि महात्मा गांधी की करीबी शिष्या थी। हालांकि, अल्मोड़ा जिले का रवैया आश्रम के प्रति उत्साहजनक नहीं था, लेकिन पौड़ी और टिहरी जिले की कुछ छात्राओं ने आश्रम को सशक्त बनाया।

  • वन देवी की उपाधि

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    जिसमें एक साथ पांच छात्राओं ने दाखिला लिया उनमें से एक बिमला बहुगुणा थी। उनकी साफ समझ और कड़ी मेहनत के कारण उन्हें कम समय में ही आश्रम की सबसे प्रिया छात्रा बना दिया गया। विमला देवी ने आश्रम के बाहर की सामाजिक गतिविधियों में भी काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में आश्रम के प्रतिनिधित्व के लिए विमला बहुगुणा को चुना गया था। इसके साथ ही बिमला को वन देवी की उपाधि भी दी गई थी।