उत्तराखंड उत्तरकाशीEarthquake shook the earth in Uttarkashi

उत्तराखंड: 3.2 मैग्निट्यूड तीव्र भूकंप के झटकों से डोली धरती, जमीन से पांच किमी नीचे था केंद्र

उत्तरकाशी में भूकंप के झटके महसूस होते ही स्थानीय लोग अपने घरों से बाहर भागने लगे। हालांकि भूकंप के कारण किसी को भी जान-माल का नुकसान नहीं पहुंचा है।

Earthquake in Uttarkashi: Earthquake shook the earth in Uttarkashi
Image: Earthquake shook the earth in Uttarkashi (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में इन दिनों भारी बारिश के साथ ही भूस्खलन, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने लोगों को परेशान कर रखा है। आज भी भूकंप के कारण जिले की धरती डोल गई और भूस्खलन के कारण लीलम-पातों सड़क पर यातायात बंद पड़ गया है।

Earthquake shook the earth in Uttarkashi

जानकारी के अनुसार, आज मंगलवार 8 जुलाई की दोपहर करीब एक बजे उत्तरकाशी जिले में फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए। आपदा कंट्रोल रूम ने उत्तरकाशी में आए भूकंप की पुष्टि करते हुए बताया कि इस भूकंप का केंद्र तहसील मोरी क्षेत्र के ग्राम जखोल के जंगलों में जमीन से पांच किलोमीटर नीचे गहराई में था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.2 मापी गई है। भूकंप के दौरान कुछ देर तक झटके महसूस किए गए।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने एक्स पर अपनी पोस्ट के जरिए पर जानकारी दी है कि उत्तरकाशी में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके महसूस होते ही स्थानीय लोग अपने घरों से बाहर भागने लगे। हालांकि भूकंप के कारण किसी को भी जान-माल का नुकसान नहीं पहुंचा है।

CM धामी ने वर्षा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण

आपको बता दें कि इन दिनों भारी बारिश के चलते उत्तरकाशी जिले में आए दिन भूस्खलन के कारण सड़कों पर मलबा आ रहा है, जिसके सड़के कई दिनों तक बंद पड़ रही हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी लोग गांव से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। यमुनोत्री और गंगोत्री आने वाले यात्रियों को भूस्खलन के कारण कई परेशानियां हो रही हैं। इसके अलावा भारी बारिश और भूस्खलन के कारण कई गांवों सेब की फसल को अन्य फसलें नष्ट हो गई हैं। बीते कुछ दिनों पहले ही यमुनोत्री यात्रा बंद रहने के बीच बादल फटने के कारण कई मजदूर लापता हो गए। इस हादसे के बाद बीते रविवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को उत्तरकाशी जिले के वर्षा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करके आपदा की स्थिति का जायजा लिया था।