उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालMushroom production changed life of Maheshwari Devi

उत्तराखंड: मजदूरी कर चलाती थी परिवार, मशरूम के स्वरोजगार ने बदल दी माहेश्वरी देवी की जिंदगी

ग्रामोत्थान परियोजना के आने से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं में जागरूकता और आत्मनिर्भरता बढ़ गई है। इसके कारण ग्रामीण महिलाएं स्वरोजगार की ओर प्रेरित हो रही हैं...

Mushroom production: Mushroom production changed life of Maheshwari Devi
Image: Mushroom production changed life of Maheshwari Devi (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: खिर्सू ब्लॉक के छोटे से गांव की माहेश्वरी देवी मजदूरी करके अपने परिवार का पालन कर रही थीं। सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और मशरूम उत्पादन करके खुद तो आत्मनिर्भर बनी, साथ में गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गईं।

Mushroom production changed life of Maheshwari Devi

पौड़ी गढ़वाल जिले के दूरस्थ धरीगांव की निवासी माहेश्वरी देवी एक बहुत गरीब परिवार की महिला हैं, वो पहले अपने परिवार को पालने के लिए मजदूरी करती थी। लेकिन बाद में वे "लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह" से जुड़ी और फिर उन्होंने ग्राम पंचायत धरीगांव में ग्रामोत्थान और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से 10 दिवसीय ढींगरी मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद माहेश्वरी देवी ने कृषि विज्ञान केंद्र, जाखधार, गुप्तकाशी, जिला रूद्रप्रयाग में भी तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण लिया। माहेश्वरी देवी ने प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मशरूम उत्पादन को ही अपना स्वरोजगार बनाने का निश्चय किया।

हर महीने कमाती हैं औसतन 18 हजार रुपये

ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत चयन प्रक्रिया के बाद माहेश्वरी देवी के लिए 2.59 लाख रुपये की व्यवसाय योजना बनाई गई। जिसमें से 1 लाख रुपये का बैंक ऋण, 75 हजार रुपये परियोजना से सहायता और 84,514 रुपये उनकी स्वयं की भागीदारी रही। माहेश्वरी देवी ने मशरूम उत्पादन की शुरुआत 130 बैग से की, जिससे पहले महीने में उन्होंने 220 किलो मशरूम तैयार किया। इस मशरूम को उन्होंने 200 रुपये प्रति किलो की दर से बेचकर कुल 44 हजार रुपये की आय की, जिसमें उन्हें लगभग 30 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। माहेश्वरी देवी अब नियमित रूप से मशरूम का उत्पादन करके हर महीने औसतन 18 हजार रुपये की कमाई कर रही हैं।

महिलाओं में जागरूकता और आत्मनिर्भरता

माहेश्वरी देवी बताती हैं कि ग्रामोत्थान परियोजना के आने से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं में जागरूकता और आत्मनिर्भरता बढ़ गई है। इसके कारण ग्रामीण महिलाएं स्वरोजगार की ओर प्रेरित हो रही हैं। माहेश्वरी देवी ने परियोजना से प्राप्त सहयोग, तकनीकी जानकारी और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह योजना गांव की महिलाओं के लिए एक नई रोशनी लाई है। वो चाहती हैं कि अधिक से अधिक ग्रामीण महिलाएं इस योजना का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर बनें।