उत्तराखंड चमोलीArmy chief bipin rawat visit in badrinath

देवभूमि का महातीर्थ ब्रह्मकपाल, यहां जनरल रावत ने भी किया पितृ शांति के लिए पिंडदान

भगवान बदरी विशाल के दर्शन करने के बाद आर्मी चीफ बिपिन रावत ने ब्रह्मकपाल में पितृ मोक्ष के लिए पिंडदान किया...

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Image: Army chief bipin rawat visit in badrinath (Source: Social Media)

चमोली: पहाड़ के लोग चाहे कितने ही सफल हो जाएं, अहम पदों पर पहुंच जाएं, लेकिन अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते। लौटकर यहीं आते हैं और देवभूमि के प्रति अपना सम्मान जताते हैं। अपनी संस्कृति-पारिवारिक मूल्यों से जुड़े रहते हैं। गुरुवार को सेना प्रमुख प्रमुख जनरल बिपिन रावत भी ऐसा ही रिश्ता निभाने के लिए बदरीनाथ धाम की यात्रा पर आए। परिवार सहित बदरी-केदार धाम की यात्रा पर पहुंचे सेना प्रमुख ने ब्रह्मकपाल में पितरों की शांति के लिए पिंडदान भी किया। उन्होंने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रार्थना की। इससे पहले आर्मी चीफ ने बदरीनाथ धाम में विशेष-पूजा अर्चना की। इस दौरान उनका परिवार भी साथ में था। यही नहीं उन्होंने पुजारियों से मंदिर में राष्ट्र वंदना भी कराई। सेना प्रमुख बदरीनाथ धाम परिसर में करीब एक घंटे तक रहे।

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श्री बदरीविशाल की पूजा-अर्चना करने के बाद उन्होंने ब्रह्मकपाल तीर्थ में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी कराया। देवभूमि में स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ दुनिया के सबसे बड़े पितृ मोक्ष तीर्थ के रूप में पहचाना जाता है। कहा जाता है कि ये वही जगह है जहां भगवान शिव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां पितरों के पिंडदान और तर्पण के लिए पहुंचते हैं। विश्व में यही एक जगह है जहां पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, वो जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। सेना प्रमुख ने भी ब्रह्मकपाल में पितृ शांति के लिए पूजा-अर्चना की। पिंडदान कर उनके मोक्ष के लिए प्रार्थना की। दो दिन की बदरी-केदार यात्रा के पहले दिन बुधवार को उन्होंने केदारनाथ के दर्शन किए। गुरुवार को वो बदरीधाम आए। बदरीनाथ धाम परिसर में एक घंटा बिताने के बाद वो हेलीकॉप्टर से हर्षिल घाटी की ओर रवाना हो गए।