उत्तराखंड उत्तरकाशीNidhi binjola give football training to girls

पहाड़ की निधि बिंजोला, जो गांव की बेटियों को कड़ी ट्रेनिंग देकर बना रही है फुटबॉलर

जिस क्षेत्र में बच्चियों का बचपन पहाड़ में घास काटने और गदेरों से पानी लाने में बीत जाता हो, वहां ये तस्वीर सुखद अहसास कराती है...

Nidhi binjola: Nidhi binjola give football training to girls
Image: Nidhi binjola give football training to girls (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: सीमांत जिला उत्तरकाशी...यहां मनेरा स्टेडियम में पहाड़ की बेटियां फुटबॉल की प्रैक्टिस करती दिखती हैं। जिस क्षेत्र में बच्चियों का बचपन पहाड़ में घास काटने और गदेरों से पानी लाने में बीत जाता हो, वहां उत्तरकाशी के मनेरा स्टेडियम की तस्वीर बदलाव का सुखद अहसास कराती है। मनेरा स्टेडियम में पहाड़ की होनहार बेटियां फुटबॉल की ट्रेनिंग ले रही हैं और इनकी कोच हैं निधि बिंजोला, जो कि बेटी बचाओ-बेटी खिलाओ अभियान को नई पहचान दे रही हैं। निधि मनेरा स्टेडियम में 20 बालिकाओं को फुटबॉल की बारीकियां सिखा रही हैं, ताकि ये बेटियां उत्तराखंड का नाम देश-दुनिया में रोशन करें। इन बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए कोच निधि बिंजोला दिन-रात मेहनत करती हैं। चलिए अब आपको निधि के बारे में बताते हैं। निधि बिंजोला पौड़ी जिले के कोटद्वार की रहने वाली हैं। उनके पिता वाचस्पति बिंजोला सीआरपीएफ से रिटायर्ड हैं। पिता की प्रेरणा से ही निधि खेलों के क्षेत्र में आई। फुटबॉल में स्कूल और विश्वविद्यालय स्तर के साथ ही नेशनल टीम के लिए भी खेलीं। अंडर-17 नेशनल, अंडर-19 नेशनल और सीनियर नेशनल टीम में उत्तराखंड की कैप्टन के तौर पर हिस्सा लिया। साल 2014 में उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (एनआइएस) से डिप्लोमा किया। जिसके बाद वो कोटद्वार और देहरादून में लड़कियों को फुटबॉल की कोचिंग देने लगीं। साल 2016 में उत्तरकाशी में महिला फुटबॉल आवासीय हॉस्टल स्थापित हुआ। जिसके बाद निधि यहां संविदा पर तैनाती पा गईं। साल 2018 में शासन ने उप क्रिड़ाधिकारी फुटबॉल कोच की भर्ती निकाली। निधि ने परीक्षा पास की और इस तरह बतौर फुटबॉल कोच स्थाई नियुक्ति पा गईं। अब निधि गांव की होनहार बेटियों को खेल की बारिकियां सिखाती हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि पहाड़ की प्रतिभाशाली बेटियां भविष्य में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन करेंगी। निधि और उनसे ट्रेनिंग लेने वाली बच्चियां जिस तरह कड़ी मेहनत कर रही हैं, उसे देख उत्तराखंड में खेलों के सुखद भविष्य की उम्मीद जगती है।
यह भी पढ़ें - पहाड़ के अमन पांडे को बधाई दें, नेशनल ताइक्वॉन्डो चैम्पियनशिप में जीता गोल्ड मेडल