उत्तराखंड अल्मोड़ाCarbide gun for farmers in uttarakhand

पहाड़ में बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाएगी ये बंदूक, वैज्ञानिकों ने किया शानदार आविष्कार

अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों ने खास तरह की बंदूक बनाई है, जो पहाड़ में बंदरों के आतंक से निजात दिलाने में मददगार साबित होगी। बंदूक की खास बात ये है कि इससे बंदर मरेंगे नहीं, बल्कि बंदूक से निकलने वाली आवाज से बंदरों को डराया जाएगा...जानिए इसकी खास बातें

उत्तराखंड में बंदर: Carbide gun for farmers in uttarakhand
Image: Carbide gun for farmers in uttarakhand (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: पहाड़ में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। कुछ साल पहले तक गांव के लोग जंगली सूअरों से परेशान रहते थे, अब इनकी जगह बंदरों ने ले ली है। पहाड़ में बंदर उत्पात मचाते हैं, खड़ी फसलें बर्बाद कर देते हैं और तो और बस्तियों में घुसकर लोगों पर हमला भी कर रहे हैं। बंदरों के डर से लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है। खेत बंजर होते जा रहे हैं। अब तो हाल ये है कि बंदर घरों के अंदर दस्तक दे लगे हैं। वन विभाग भी इनके सामने बेबस नजर आता है, ऐसे में अल्मोड़ा के विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने बंदरों के आतंक से निजात के लिए एक कारगर हथियार इजाद किया है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने खास तरह की बंदूक बनाई है, जो कि बंदरों के आतंक से निजात दिलाने में मददगार साबित होगी। बंदूक की खास बात ये है कि इससे बंदर मरेंगे नहीं। बंदूक से निकलने वाली आवाज से बंदरों को डराया जाएगा। बंदूक को तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत की है, कई ट्रायल के बाद इस बंदूक को फाइनल रूप दिया गया। अगले महीने विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में इस गन का फाइनल ट्रायल किया जाएगा।

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सबकुछ ठीक रहा तो बंदूक आम लोगों को उपलब्ध कराई जाएगी। बंदूक की खास बातें भी आपको बताते हैं। बंदूक बनाने के लिए कार्बाइड का इस्तेमाल किया गया है, कार्बाइड वही केमिकल है, जिसे फलों को पकाने के लिए यूज किया जाता है। कार्बाइड की गोलियां भी बनाई गई हैं। ये गोली मानक के अनुसार पानी मिलाने पर बंदूक में मौजूद लाइटर से जलने के बाद तेज आवाज करती है। इस आवाज से डर कर बंदर भाग जाएंगे। वैज्ञानिकों का दावा है कि अब तक इस बंदूक का ट्रायल सफल रहा है। जहां-जहां ट्रायल हुआ, वहां बंदरों का आतंक कम हो गया है। रिजल्ट से उत्साहित होकर बंदूक को और अपडेट किया गया है। फाइनल ट्रायल के बाद इसे आम लोग भी इस्तेमाल कर सकेंगे। अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों की ये खोज पहाड़ के किसानों के लिए वरदान साबित होगी।
सौजन्य-काफल ट्री