उत्तराखंड नैनीतालNainital organic tea having full of medicinal value

उत्तराखंड की लाजवाब चाय..ये है गंभीर बीमारियों का इलाज, विदेशों में बढ़ रही है डिमांड

ये चाय (Nainital organic tea) एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। जो कि बीपी और शुगर जैसी गंभीर बीमारियों को दूर रखने में मदद करती है, यहां की चाय को कोलकाता के रास्ते जापान, कोरिया, इंग्लैंड, इटली समेत कई देशों में भेजा जा रहा है...

Nainital organic tea: Nainital organic tea having full of medicinal value
Image: Nainital organic tea having full of medicinal value (Source: Social Media)

नैनीताल: उत्तराखंड का खूबसूरत पहाड़ी शहर नैनीताल...अंग्रेजों के जमाने में इस शहर की रौनक देखते ही बनती थी। भारत में चाय पीने का चलन अंग्रेज ही लेकर आए थे। देश की आजादी के बाद अंग्रेज तो चले गए, लेकिन चाय यहीं की होकर रह गई। उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों के अलावा नैनीताल के श्यामखेत में भी ऑर्गेनिक चाय (Nainital organic tea) का उत्पादन किया जा रहा है। यहां मिलने वाली ऑर्गेनिक चाय स्वाद और सेहत...दोनों के पैमाने पर फिट है। श्यामखेत में पैदा होने वाली चाय एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। जो कि बीपी और शुगर जैसी गंभीर बीमारियों को दूर रखने में मदद करती है। नैनीताल घूमने आने वाले सैलानियों की यहां की ऑर्गेनिक चाय खूब भा रही है। पर्यटक यहां उगने वाली ऑर्गेनिक चाय की चुस्की लेने के लिए पहुंच रहे हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर है। श्यामखेत में मिलने वाली ऑर्गेनिक चाय की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी है। आगे जानिए इसके बेमिसाल फायदे

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सेहत के लिए फायदेमंद होने की वजह से विदेशों में इसकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है। यहां की चाय को कोलकाता के रास्ते जापान, कोरिया, इंग्लैंड, इटली समेत कई देशों में भेजा जा रहा है। लोग चाय बागान घूमने आते हैं, यहां सेल्फी भी लेते हैं। श्यामखेत में चाय बागान (Nainital organic tea) की स्थापना साल 1991 में की गई थी। बागान में सालाना करीब 5 हजार किलो जैविक चाय का उत्पादन किया जा रहा है। जिससे चाय विकास बोर्ड को हर साल 45 लाख रुपये का राजस्व मिल रहा है। टी बोर्ड के मैनेजर नवीन चंद्र पांडे बताते हैं कि अच्छी मिट्टी और मौसम की वजह से बागान में जैविक चाय का बेहतर उत्पादन हो रहा है। चाय को उगाने के लिए किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। उत्पादन में सिर्फ कंपोस्ट खाद यूज होती है, जिससे चाय के औषधीय गुण बने रहते हैं। चाय की पैदावार से उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड को लाखों का राजस्व मिलने के साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिला है।