हल्द्वानी: इस दुनिया मे हर कोई रोटी का हकदार है। मगर दुनिया में ऐसे कितने ही लोग होंगे जिनको खाने के लिए रोटी नसीब नहीं होती होगी। ऐसे ही लोगों का पेट भरने निकलते हैं हल्द्वानी (उत्तराखंड) के कुछ युवा। रोज़ रात को जब हम चैन की नींद सोने जाते हैं तब उत्तराखंड के कुछ युवा सड़कों पर इस सपने के साथ निकलते हैं कि किसी को भी भूखा न सोना पड़े। हम आज बात करेंगे टीम "रोटी बैंक" के बारे में जिसकी शुरुआत की है तरुण सक्सेना ने। जैसे कि नाम से ही अंदाज़ा लगता है, यह युवाओं का समूह रोज़ रात को निकलता है और बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन या चौराहों पर रहने वाले गरीबों, ज़रूरतमन्दों और अपाहिजों को भोजन उपलब्ध कराता है। तरुण के द्वारा शुरू किए गए इस प्रयास में लगभग 300 लोग जुड़ चुके हैं।
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2018 में बने रोटी बैंक हर रात एक ही मिशन के साथ निकलता है, ज़रूरतमंद कभी भूखा न सोये। इन युवाओं की जोशीली टीम तीन तरीकों से भोजन जुटाती है। सबसे पहले व्यक्तिगत तौर पर अगर किसी का खाना बच जाता तो वह टीम को सम्पर्क कर खाना दे सकता है। दूसरा किसी भी पब्लिक पार्टी या शादी में भोजन बचने पर वह खाना "रोटी बैंक" को उपलब्ध करा सकता है। तीसरा ज़रिया है टीम से सीधा संपर्क करके राशन उपलब्ध कराने का। उपलब्ध कराए गए आटा, दाल, चावल,मसालों से ज़रूरतमन्दों के लिए भोजन तैयार किया जाता है। जब "रोटी बैंक" के संस्थापक तरुण सक्सेना से बात की तो उन्होंने बताया कि एक दिन उन्होंने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक ज़रूरतमंद को भोजन कराया। उस व्यक्ति के चेहरे पर सन्तुष्टि देख कर तरुण ने यह फैसला किया कि वह रोज़ ऐसे ही कई लोगों की सन्तुष्टि का कारण बनेंगे। तरुण बताते हैं कि इस मुहिम की शुरुआत में बहुत समस्याएं खड़ी हुईं मगर उनके द्वारा रखे धैर्य ने "रोटी बैंक" को कामयाब बनाया है। इससे अबतक लगभग 300 लोग जुड़ चुके हैं जो कि रोज़ ज़रूरतमंद, गरीब लोगों का पेट भरने जैसे नेक काम को बख़ूबी अदा करते हैं।