उत्तराखंड चमोलीnurses made face cover By plastic cover of books in gopeshwar

चमोली: नर्सों का शानदार काम देखिए, किताबों में लगने वाले प्लास्टिक से बनाया फेस कवर

गोपेश्वर के जिला अस्पताल में कार्यरत नर्सों ने बच्चों की कॉपी-किताबों में लगने वाले प्लास्टिक कवर से अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ के लिए फेस कवर तैयार किया है। पढ़िये पूरी खबर-

Corona Virus Uttarakhand: nurses made face cover By plastic cover of books in gopeshwar
Image: nurses made face cover By plastic cover of books in gopeshwar (Source: Social Media)

चमोली: कोरोना का खौफ चरम पर है। ऐसे में सबको हिदायत है कि चेहरे को ढक कर रखें। चेहरे को बिना ढके बाहर निकलना मतलब बिन बुलाई मुसीबत को निमंत्रण देना। खासकर कि उन लोगों को जो अस्पताल में दिन-रात काम करते हैं और अपनी जान की परवाह करे बगैर दूसरों की सेवा करने में जी-जान से जुटे हुए हैं। ऐसे ही कुछ रक्षकों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है जिन्होंने ऐसा आविष्कार किया है जिसकी तारीफ करते लोग थक नहीं रहे। हम बात कर रहे हैं गोपेश्वर के जिला अस्पताल के नर्सों की। गोपेश्वर में जिला अस्पताल के अंदर नर्सों ने एक ऐसा फेस कवर बनाया है जो बेहद सस्ता है और कारगर है। कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार को जन्म देती है। इसलिए अस्पताल की नर्सों ने अपने बच्चों की कॉपियों और किताबों के प्लास्टिक कवर से खुद को सुरक्षित रखने का एक अनूठा तरीका अपनाया है। आगे पढ़िए

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आपको बता दें कि चमोली में अबतक कोई भी पॉजिटिव केस नहीं निकला है। हालांकि जिला अस्पताल में 16 संदिग्ध मरीजों को भर्ती किया जा चुके हैं, जिनमें से 13 की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उन्हें घर रवाना कर दिया है। लेकिन यहां पर ड्यूटी कर रहे नर्स और उनके साथ अन्य स्टाफ जो हॉस्पिटल की देखभाल कर रहे हैं, उनके पास स्वयं की सुरक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। सिर्फ आइसोलेशन वार्ड के अंदर जाने के दौरान ही उन्हें पीपीई किट का प्रयोग करना होता है। इसके अलावा पूरे जिला अस्पताल में मौजूद स्टाफ के पास बचाव की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में स्टाफ और नर्स कपड़े से मुंह ढकते हैं। इसी समस्या को देखते हुए हॉस्पिटल में कार्यरत नर्स अनुराधा, दीपा और पार्वती ने अपने घर में ही उपलब्ध संसाधनों से सबके लिए फेस कवर बनाया। आगे पढ़िए

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ये फेस कवर बेहद ही सस्ता और कारगर है। बच्चों के किताबों और कॉपियों पर लगने वाले प्लास्टिक कवर उन्होंने फेस कवर बनाया है। नर्स अनुराधा बताती हैं कि अस्पताल में फेस कवर करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी और फेस को ढकना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि जांच की रिपोर्ट आने से पहले यह नहीं पता लगता है कि कौन सा मरीज कोरोना प्रभावित है और कौन नहीं। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला चिकित्सालय की नर्स ने यह अनूठा आविष्कार किया है जो सुरक्षित भी है और जेब को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा। उनके बनाये गए इस फेस कवर को अब चिकित्सालय का पूरा स्टाफ इस्तेमाल कर रहा है। उनके इस आविष्कार की सीएमओ डॉ. केके सिंह ने भी बहुत सराहना की है।