उत्तराखंड देहरादूनStory of ips prahlad meena

शाबाश प्रह्लाद..एक किसान पुत्र, जो रेलवे में गैंगमैन था..कड़ी मेहनत से बना IPS अफसर

माता-पिता राजस्थान में मजदूरी किया करते थे, ऐसे में उनके होनहार और काबिल पुत्र ने हिम्मत और हौसले का प्रदर्शन करते हुए रेलवे पटरी की मरम्मत करने वाले गैंगमैन से आईपीएस अफसर तक का सफर पूरा किया।

ips prahlad meena: Story of ips prahlad meena
Image: Story of ips prahlad meena (Source: Social Media)

देहरादून: हमारे देश मे कई ऐसे उदाहरण मिलेंगे जिन्होंने साबित किया है कि सफलता के बीच कभी भी परिस्थिति या हालात नहीं आते। यह पूर्णतः सत्य है। कितने ही लोग उदाहरण बनकर सामने आए हैं जिन्होंने कठिन से कठिन हालातों के बीच भी मेहनत और लगन से बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया है। मंजिल जितनी ऊंची होगी, संघर्ष भी उतना ही बड़ा होगा। आज एक ऐसे ही शख्स की कहानी राज्य समीक्षा पाठकों के लिए लेकर आया है जिनके माता-पिता मजदूरी किया करते थे और वे स्वयं गैंगमैन के तौर पर रेलवे के पटरियों की मरम्मत किया करते थे। उन्होंने खुद को मेहनत की आग में झौंक दिया और वह देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी क्लियर करके आईपीएस के पद पर पहुंचे। हम बात कर रहे हैं प्रह्लाद मीणा की.. जिन्होंने 2016 में सिविल परीक्षा पास की। वह वर्तमान में ओडिशा कैडर के 2017 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। एक गैंगमैन से आईपीएस का सफर आसान नहीं था। सैंकड़ों अड़चनें आईं, मगर सबको पार कर आखिर आईपीएस प्रह्लाद मीणा ने यह साबित कर दिया कि सफलता के आड़े कभी भी हालात नहीं आते। चलिए जानते हैं उनके गैंगमैन से आईपीएस बनने तक की कहानी

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परिवार राजस्थान में जमीदारों के घर खेती मजदूरी करके बच्चों का पेट पालता था। राजस्थान के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का बिल्कुल महत्व नहीं है। मगर प्रह्लाद मीणा का शुरू से पढ़ाई की तरफ काफी रुझान था। उनके माता-पिता भी अपने बच्चों को ऊंचे मुकाम पर देखना चाहते थे इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को पढ़ने से कभी नहीं रोका। वह बचपन मे इंजीनियरिंग करना चाहते थे मगर चूंकि साइंस विषय में आगे की पढ़ाई के लिए कोई स्कूल नहीं था इसलिए उन्होंने मानविकी ( आर्ट्स ) विषय को ही चुना। उनकी आर्थिक हालात ठीक नहीं थीं इसलिए उन्होंने भारतीय रेलवे में गैंगमैन बनने का सपना देखा। भारतीय रेलवे के भुवनेश्वर बोर्ड में उनका चयन गैंगमैन के पद पर हो गया। मगर उससे वो सन्तुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कर्मचारी आयोग द्वारा आयोजित होने वाली संयुक्त परीक्षा में बैठने का फैसला किया। उस को भी क्लियर करते हुए उन्हें रेल मंत्रालय के सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर नियुक्ति मिली। मगर उनका लक्ष्य तो कुछ और ही था। उन्होंने नौकरी के साथ ही सिविल परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। वे 3 बार लगातार असफल हुए मगर उन्होंने हार नहीं मानी। आखिरकार लगातार संघर्ष के बाद 2016 की सिविल परीक्षा में उनका सलेक्शन हुआ। वर्तमान में वे ओड़िशा कैडर के 2017 बैच के अधिकारी हैं। ऐसे में जो लोग यह कहते हैं कि हालातों और परिस्थितियों ने उनको कभी आगे नहीं आने दिया या उनको मौका नहीं मिला,उनकी इस धारणा को आईपीएस प्रह्लाद मीणा की सफलता गलत साबित करती है। आज वह आईपीएस पद पर तैनात हैं और सैंकड़ों युवाओं का प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके जज्बे और हिम्मत को सलाम।