देहरादून: लद्दाख के गलवान घाटी में बीते 15 जून को भारत और चाइना के बीच हिंसक झड़प हो गई जिसमें दुर्भाग्यवश भारत ने अपने 20 जवानों को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया। 50 सालों के इतिहास में बीते 15 जून को जो मुठभेड़ हुई वह सबसे खतरनाक और हिंसात्मक झड़प थी। इससे देश के लोगों के बीच आक्रोश साफ झलक रहा है। उन शहीदों में से एक थे कांकेर के जवान गणेश कुंजाम। उनकी शहादत के बाद से ही उनके गांव और घर में मातम पसरा हुआ है। उनकी महीने भर पहले ही बॉर्डर पर पोस्टिंग हुई थी और मुठभेड़ के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। शून्य से भी नीचे तापमान में वह चीन के सिपाहियों से अंत तक लड़े और अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। शहीद गणेश कुंजाम कुरुटोला गांव से नाता रखते थे। उनका परिवार बेहद गरीब है और वह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। शहीद के चाचा कहते हैं कि आखिरी बार एक महीने पहले गणेश से बात हुई थी। आगे पढ़िए
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तब बताया था कि उसकी पोस्टिंग चीन बॉर्डर पर हो गई है और वह वहीं जा रहा है। गणेश कुंजाम ने 2011 में 12वीं क्लियर करने के बाद ही इंडियन आर्मी ज्वाइन कर ली थी। महीने भर पहले ही उनकी चीन के बॉर्डर पर पोस्टिंग हुई थी। बता दें कि चीन और भारत के बीच हुई झड़प में गणेश कुंजाम बुरी तरह घायल हो गए थे मगर अस्पताल में उपचार के दौरान भारत मां के सपूत ने दम तोड़ दिया। मंगलवार देर शाम को कैंप के एक अधिकारी ने शहीद गणेश के घर फोन करके इसकी जानकारी दी जिसके बाद से समस्त गांव में मातम पसरा हुआ है। 27 साल के गणेश कुंजाम जब पिछली बार घर आए थे, तो उनकी शादी तय कर दी गई थी। घरवाले शादी की तैयारी भी कर रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते तारीख फाइनल नहीं हो सकी थी। ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले जब बात हुई तो गणेश ने परिवार वालों से कहा था कि वे कोरोना के बाद घर आएंगे। इसके चलते एक बार फिर उनकी शादी को लेकर घर वाले उत्साहित थे, लेकिन उससे पहले ही मौत की खबर आ गई।