उत्तरकाशी: आज फिर से एक अच्छी कहानी जानिए..संकट के समय को अवसर में कैसे बदलना है, ये कोई उत्तरकाशी के दलवीर सिंह चौहान से सीखे। लॉकडाउन के मुश्किल वक्त में जब लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे थे। उस मुश्किल वक्त में भी दलवीर ने आत्मनिर्भर बनने की राह खोज निकाली। लॉकडाउन के दौरान पहाड़ के इस किसान ने सब्जियां बेचकर डेढ़ लाख रुपये कमाए। उनकी देखा देखी अब क्षेत्र के युवा भी खेती के लिए आगे आ रहे हैं। दलवीर युवाओं को खेती-किसानी के गुर सिखा रहे हैं, ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें। गांव के युवा दलवीर सिंह से आधुनिक ढंग से सब्जी उत्पादन के गुर सीख रहे हैं। उत्तरकाशी जिले में एक गांव है कंकराड़ी। दलवीर सिंह चौहान इसी गांव में रहते हैं। आगे पढ़िए
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सामान्य किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले दलवीर ने साल 1994 में गढ़वाल यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में एमए किया। साल 1996 में बीएड किया। चाहते तो दूसरे पहाड़ी भाईयों की तरह गांव छोड़कर शहर जा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। दलवीर गांव के पास एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगे। स्कूल में पढ़ाकर जो सैलरी मिलती थी, उससे घर चला पाना मुश्किल था। ऐसे में दलवीर ने खेती करने की ठानी। लेकिन ये आसान नहीं था। सबसे बड़ी चुनौती असिंचित जमीन में पानी पहुंचाने की थी। खैर किसी तरह दलवीर ने पानी के स्त्रोत का इंतजाम किया और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मदद से ढलानदार असिंचित जमीन को उपजाऊ बनाया। अब आगे भी पढ़िए
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साल 2011 में दलवीर ने माइक्रो स्प्रिंकलर सिंचाई की तकनीक सीखी और इसे अपने खेतों में आजमाने लगे। देखते ही देखते उनके खेत सोना उगलने लगे। जिसके बाद दलवीर ने स्कूल की नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह खेती के लिए समर्पित हो गए।एक खबर के मुताबिक इस सीजन में मार्च से जून के आखिर तक दलवीर डेढ़ लाख की सब्जी बेच चुके हैं। वो अपने खेतों में ब्रोकली, टमाटर, शिमला मिर्च, आलू, कद्दू, पत्ता गोभी, बैंगन, फूल गोभी और पहाड़ी कद्दू जैसी सब्जियां उगा रहे हैं। बेमौसमी सब्जी के उत्पादन के लिए उन्होंने पॉली हाउस बनाया है। अपनी मेहनत और पहाड़ में रहकर ही कुछ कर दिखाने की ललक ने दलवीर को सफलता का रास्ता दिखाया। अब उनकी गिनती जिले के प्रगतिशील किसानों में होती है। दलवीर सिंह से प्रेरणा लेकर आस-पास के युवाओं ने भी गांव में पॉली हाउस लगाए हैं। दलवीर क्षेत्र के युवाओं में स्वरोजगार की अलख जगा रहे हैं।