: उमेश कुमार। वही, पहाड़ के नाम पर पहाड़ियों को इमोशनल ब्लैकमेल करने वाला। ये टैगलाइन है तेरे लिए। तू अपने फेसबुक में लिख रहा है कि मैं तेरे लिए लिखने और चुनौती देने लायक नहीं बना हूँ। सुन रे तू मेरी पत्रकारिता देखेगा। हाँ बोल। तेरी जितनी उम्र है उतनी पत्रकारिता कर चुका। अपनी पत्रकारिता को दिखा। अपनी क्वालिफिकेशन भी दिखा। वैसे तुझे मिडिल पास बताया जाता है पर लगता वो भी नहीं। बब्बर शेर बन रहा है, है गीदड़ से भी गया गुज़रा। बब्बर। 36 घंटे से ज़्यादा गुज़र गए। बोल कब आएगा सामने।
और ये भी सुन। तूने लिखा है ना कि इतनी गाली मैंने कभी नहीँ खाई होंगी। सुन बे गरियाने वालों के बाप। मैं गालियां नहीँ देता। ये काम तेरा है। कर, और अपने चमचों से करवा। खरीद डाले तूने 10 10 हज़ार में गरियाने वाले। दे गाली और दिलवा। गालियों से भर अपनी फेसबुक वॉल। लाइक और कमेंट फेसबुक पर गिनने वाले तू नीचता कर। मैं तेरे और तेरे ग्रास पे पालने वालों जैसा कभी नहीँ बन सकता मैं बे बब्बर।
डॉ. अजय ढौंडियाल के ब्लॉग से साभार
उमेश कुमार। वही, पहाड़ के नाम पर पहाड़ियों को इमोशनल ब्लैकमेल करने वाला। ये टैगलाइन है तेरे लिए। तू अपने फेसबुक में लिख...
Posted by DrAjay Dhoundiyal on Tuesday, July 21, 2020
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