अल्मोड़ा: शारीरिक रूप से दिव्यांग होने का मतलब यह नहीं कि आप सफलता हासिल नहीं कर सकते। अल्मोड़ा के सौरभ तिवारी ने इस बात को सच कर दिखाया है। दिव्यांग सौरभ ने 12वीं की परीक्षा फर्स्ट डिविजन में पास कर दिव्यांग बच्चों में आशा की नई किरण जगाई है। डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने भी सौरभ तिवारी की सफलता पर खुशी जताई, उनका हौसला बढ़ाया। डीएम ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में सफल रहने वाले छात्रों को शुभकामनाएं दी। इस दौरान उन्होंने दिव्यांग सौरभ तिवारी की सफलता का विशेष तौर पर उल्लेख किया। डीएम ने कहा कि सौरभ की सफलता दूसरे दिव्यांग छात्रों को कभी हार ना मानने के लिए प्रेरित करेगी। छात्र देश का भविष्य हैं। वह अपनी योग्यता, परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति से देश को नई दिशा देने में कामयाब रहेंगे।
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जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने ग्राम डोबा के दिव्यांग बालक सौरभ तिवारी के इंटरमीडियट में प्रथम श्रेणी प्राप्त करने पर उन्हे बधाई व शुभकामनायें दी हैै। उन्होंने बताया कि डोबा ग्राम के कैलाश चन्द्र तिवारी के 3 संतान हैं और सभी एक विशेष रोग के कारण दिव्यांग हैं इसमे बडे बेटे सौरभ ने अत्यधिक विषम परिस्थितियों में इंटरमिडीएट में प्रथम श्रेणी से परीक्षा पास कर दिव्यांग बच्चों में आशा की किरण जगा दी है। इस अवसर जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के रूप में डाँ अजीत तिवारी सपत्नीक पूनम तिवारी के साथ सौरभ को शाल, पुस्तक और मिठाई भेंट की। इस अवसर पर सौरभ ने कहा कि मेरी इस सफलता में जिलाधिकारी का पूर्ण सहयोग रहा है जिलाधिकारी द्वारा हमेशा सकारात्मक मार्गदर्शन किया जाता रहा है। उन्होंने आगे की पढाई के लिए भी सहयोग करने का आश्वासन दिया है। साथ ही जिला प्रशासन के कई अधिकारियों का सहयोग हमेशा मिलता रहा है।
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जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के तौर पर डॉ. अजीत तिवारी और उनकी पत्नी पूनम तिवारी ने मेधावी सौरभ को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। प्रशासन की तरफ से सौरभ को पुस्तकें और मिठाई भेंट की गई। सौरभ तिवारी का परिवार अल्मोड़ा के डोबा गांव में रहता है। उनके पिता कैलाश चंद्र तिवारी ने बताया कि एक विशेष रोग की वजह से उनकी तीनों संतानें दिव्यांग हैं। वो बच्चों की शारीरिक कमी तो दूर नहीं कर सकते, लेकिन उन्हें काबिल बनाने के लिए उनसे जो हो सकता है, वो सब कर रहे हैं। बच्चे भी इस बात को समझते हैं। उनके बड़े बेटे सौरभ ने विषम हालात के बावजूद किसी तरह पढ़ाई जारी रखी और 12वीं में फर्स्ट डिविजन लाकर दिव्यांग बच्चों में आशा की नई किरण जगाई। सौरभ की सफलता से परिजन गर्वित हैं। क्षेत्रवासियों और शिक्षकों ने भी सौरभ को बधाई देकर उनका हौसला बढ़ाया।