देहरादून: सफलता हासिल करना कोई आसान बात नहीं है। खुद पर नियंत्रण और अपने लक्ष्य को पाने का जुनून होना बेहद जरूरी है। आज हम आपको पहाड़ की ऐसी होनहार बिटिया के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने छोटे से शहर से निकलकर पूरे देश में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। इस होनहार बेटी का नाम है आईपीएस विशाखा डबराल। साल 2017 में सिविल सेवा परीक्षा में 134वीं रैंक हासिल करने वाली विशाखा डबराल दो साल बाद सिविल सेवा परीक्षा में फिर से 134वीं रैंक पाने में सफल रहीं। देहरादून की रहने वाली विशाखा डबराल वर्तमान में गुजरात कैडर में बतौर आईपीएस सेवाएं दे रही हैं। विशाखा गुजरात कैडर की आईपीएस अफसर हैं। उनके पिता बीपी डबराल देहरादून के तुनवाला में रहते हैं। वो भी उत्तराखंड पुलिस में अधिकारी हैं। साल 2017 में विशाखा ने सिविल सेवा परीक्षा में देशभर में 134वीं रैंक हासिल की थी। वह आईपीएस बन गईं लेकिन रैंक सुधार के लिए साल 2019 में उन्होंने फिर से सिविल सेवा परीक्षा दी। हालांकि इसमें भी उन्होंने 134वीं रैंक हासिल की है। बेटी की दूसरी उपलब्धि पर माता-पिता गर्वित हैं। चलिए अब आपको विशाखा के बारे में बताते हैं। आगे पढ़िए
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विशाखा ने 12वीं तक की पढ़ाई देहरादून की गुरुनानक एकेडमी से की। बाद में वो बीए करने के लिए दिल्ली चली गईं और दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस से बीए किया। ग्रेजुएशन में उन्होंने इतिहास और अर्थशास्त्र विषय को चुना। साल 2015 में ग्रेजुएशन कंपलीट करने के बाद विशाखा सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगीं। सेल्फ स्टडी के दम पर उन्होंने 2016 में सिविल सेवा परीक्षा दी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इस अफलता से विशाखा ने खुद को टूटने नहीं दिया। माता रश्मि डबराल और पिता भी उन्हें अफसर बनने के लिए प्रेरित करते रहे। इस तरह साल 2017 में विशाखा ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी और सिविल सेवा परीक्षा में 134वीं रैंक पा गईं। उन्होंने रैंक सुधार के लिए साल 2019 में दोबारा सिविल सेवा परीक्षा दी, हालांकि इसमें भी उन्होंने 134वीं रैंक हासिल की है। विशाखा कहती हैं कि जो युवा सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं या असफल हो चुके हैं, वो अपनी गलतियों को पहचानें और प्रयास जारी रखें। सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए डेडिकेशन सबसे जरूरी है। ऐसा करने से निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी।