उत्तराखंड टिहरी गढ़वालBL Madhwal built a homestay in the village

गढ़वाल: रिटायरमेंट के बाद पूर्व DSP ने बदली गांव की तस्वीर, पुश्तैनी घर को बनाया होम स्टे

पूर्व डीएसपी बीएल मढ़वाल उन लोगों में से हैं, जिन्होंने अपने गांव को संवारने के लिए कोरोना जैसी आपदा का इंतजार नहीं किया। बीएल मढ़वाल रिटायरमेंट के बाद अपने गांव लौटे और यहां की तस्वीर बदल दी, जानिए इनकी कहानी (स्टोरी साभार-हिलमेल)

BL Marhwal: BL Madhwal built a homestay in the village
Image: BL Madhwal built a homestay in the village (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: पलायन से मुकाबला करना है तो पहाड़ियों को आत्मनिर्भर बनना होगा। देर से ही सही कोरोना काल ने ये बात यहां के युवाओं को अच्छी तरह समझा दी है। पहाड़ के पढ़े-लिखे लोग अब शहरों में धक्के खाने की बजाय स्वरोजगार को अपना रहे हैं, गांव लौट रहे हैं। उत्तराखंड में रिवर्स पलायन की ऐसी ही शानदार मिसाल हैं पूर्व डीएसपी बीएल मढ़वाल। पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले बीएल मढ़वाल पुलिस से डीएसपी पद से रिटायरमेंट के बाद देहरादून, हल्द्वानी, नैनीताल और काशीपुर जैसे शहरों में बस सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने गांव लौटने का फैसला किया। वो नैनीडांडा ब्लॉक में स्थित कपलटांडा गांव लौटे और वहां अपने पुश्तैनी घर को होम स्टे का रूप दिया। पुलिस के डीएसपी से लेकर वापस गांव लौटने तक की उनकी जर्नी बेहद दिलचस्प है।

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बीएस मढ़वाल पुलिस महकमे में डीएसपी के पद पर कार्यरत थे। साल 2018 में वो सेवानिवृत्त हुए। उनके बेटे और बहू दोनों भारतीय वायुसेना में पायलट हैं। एक बेटी है, जो न्यूजीलैंड में डॉक्टर है। दामाद भी आईटी कंपनी में अच्छी पोजिशन पर है। रिटायरमेंट के बाद वो चाहते तो अपने बच्चों के साथ सेटल हो सकते थे, लेकिन उन्होंने कुछ और किया। पूरी दुनिया घूम चुके बीएल मढ़वाल ने सोचा कि क्यों ना अब अपना वक्त गांव में शांति से बिताया जाए। यही सोच उन्हें गांव ले आई। वो अपनी पत्नी अनीता मढ़वाल के साथ गांव लौट आए। अब बीएल मढ़वाल गांव के बेरोजगार युवाओं के लिए कुछ करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने पर्यटन से रोजगार के अवसर सृजित करने की ठानी। उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी लगाकर गांव में होम स्टे तैयार कराया। होम स्टे बनाने और पुश्तैनी पहाड़ी घर की मरम्मत में करीब 1 करोड़ रुपये का खर्चा आया। खूबसूरत लोकेशन पर बना उनका होम स्टे नैनीताल के पास है। यहां से कोटद्वार सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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बीएल मढ़वाल गांव लौटे तो उन्हें देखकर कई परिवार यहां वापस लौट आए। कल तक जो गांव वीरान पड़ा था आज वहां रौनक नजर आती है। बीएल मढ़वाल बताते हैं कि गांव के पास स्थित बूंगी देवी के मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही लगातार बनी रहती है। हम यहां आने वाले लोगों को विश्राम करने के लिए एक विकल्प देना चाहते थे। साथ ही पुश्तैनी विरासत को संजोना चाहते थे। हमने 100 साल पुरानी तिबारी को सहेजा और 6 महीने की मेहनत के बाद पुश्तैनी घर को खंडहर होने से बचा लिया। बीएल मढ़वाल ने क्षेत्र के युवाओं को स्वरोजगार की राह दिखाई। उन्हें रोजगार भी दिया। अब गांववाले अपने बेटों को गांव में रहकर ही कुछ करने की सलाह देने लगे हैं। बीएल मढ़वाल की कोशिशों से वीरान गांव की रौनक लौट आई है।
स्टोरी और फोटो साभार- अर्जुन सिंह रावत, हिल मेल