पिथौरागढ़: 15 अगस्त के दिन जब पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था, ठीक उसी वक्त उत्तराखंड के लिए दो बुरी खबरें आईं। पहली खबर हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी से जुड़ी है। 8 जनवरी को गुलमर्ग में लापता हुए राजेंद्र सिंह नेगी का शव जम्मू-कश्मीर से बरामद कर लिया गया। दूसरी बुरी खबर लेह से आई। जहां गलवां घाटी में चीनी सैनिकों के संग हुई झड़प में घायल हुए उत्तराखंड के जवान हवलदार बिशन सिंह शहीद हो गए। हवलदार बिशन सिंह का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक निवास पहुंचा। जवान के निधन से क्षेत्र में मातम पसरा है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। हवलदार बिशन सिंह मूलरूप से पिथौरागढ़ के मुनस्यारी क्षेत्र के रहने वाले थे। उनका परिवार बंगापानी क्षेत्र में रहता है। 43 वर्षीय बिशन सिंह लद्दाख में तैनात थे। जहां वो चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में घायल हुए थे। घायल बिशन सिंह को इलाज के लिए लेह के मिलिट्री हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। यहां वो लगभग 8 दिन तक भर्ती रहे। इलाज के बाद वो बेहतर महसूस कर रहे थे। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने दोबारा ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी। लेकिन दोबारा गलवां घाटी पहुंचने के बाद उनकी हालत फिर बिगड़ गई। आगे पढ़िए
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इस बार उनकी स्थिति पहले से खराब थी। हवलदार बिशन सिंह को इलाज के लिए चंडीगड़ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के दौरान जवान की जान चली गई। हवलदार बिशन सिंह की शहादत की खबर जैसे ही उनके गांव पहुंची, वहां मातम पसर गया। शहीद बिशन सिंह का पार्थिव शरीर रात करीब डेढ़ बजे कामलुवागांजा स्थित उनके भाई जगत सिंह के आवास पर पहुंचाया गया। हवलदार बिशन सिंह अपने पीछे पत्नी सती देवी और दो बच्चों को बिलखता छोड़ गए हैं। उनका बेटा मनोज 19 साल का है, जबकि बेटी मनीषा 16 साल की है। परिजनों ने बताया कि बिशन सिंह 31 अगस्त 2020 को रिटायर होने वाले थे। रिटायरमेंट के बाद वो अपनी बाकी की जिंदगी परिवार के साथ बिताना चाहते थे, लेकिन दुर्भाग्य से ये सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया। हवलदार बिशन सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया जाएगा।
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