उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालIndresh maikhuri blog about dwarahat mla mahesh negi

उत्तराखंड: भाजपा के ‘चाल, चरित्र, चेहरे’ पर गंभीर प्रश्नचिन्ह, इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग

यह सवाल है कि यह तुम अपने साथ क्या कर बैठे द्वाराहाट वालो ? पर ऐसा ही सवाल तो पूरे उत्तराखंड से भी बनता है कि अपने साथ,ये क्या कर रहे हो !

Dwarahat MLA Mahesh Negi: Indresh maikhuri blog about dwarahat mla mahesh negi
Image: Indresh maikhuri blog about dwarahat mla mahesh negi (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: द्वाराहाट से भाजपा के विधायक महेश नेगी पर एक महिला ने यौन शोषण और बलात्कार के गंभीर आरोप लगाए हैं. उक्त महिला के आरोपों को लेकर आए दिन कई तरह की चर्चाओं का बाज़ार गर्म है. दोनों ही पक्ष स्वयं को पीड़ित की तरह पेश कर रहे हैं और दोनों ही तरफ से पुलिस को शिकायत दी जा चुकी है.
यह बेहद अफसोसजनक है कि समय-समय पर उत्तराखंड की राजनीति इस तरह के सेक्स स्कैंडलों के चलते सुर्खियां बटोरती है. बहुत अरसा नहीं बीता जबकि भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री संजय कुमार पर भाजपा कार्यालय में काम करने वाली एक युवती ने इसी तरह के आरोप लगाए और भाजपा बहुत दिन तक अपने पदाधिकारी को बचाने की कोशिश करती रही. थोड़े से अंतराल में संजय कुमार के बाद महेश नेगी पर महिलाओं के यौन शोषण के आरोप से भाजपा के “चाल,चरित्र,चेहरे” पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े होते हैं और फिर वही सवाल खड़ा होता है,जिसे अक्सरहां सोशल मीडिया में लोग उठाते रहते हैं कि “बेटी बचाओ” नारा था या चेतावनी ?

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हालांकि कॉंग्रेस का दामन भी इस मामले में कम दागदार नहीं रहा. प्रदेश के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बनाए गए दिवंगत नारायण दत्त तिवारी तो आंध्र प्रदेश के राज्यपाल पद से सेक्स स्कैंडल की कालिख लगने के बाद ही विदा हुए. कॉंग्रेस की तिवारी सरकार में मंत्री रहते हुए हरक सिंह रावत पर भी जेनी नाम की महिला ने ऐसे ही आरोप लगाए. हरक सिंह रावत आजकल भाजपा सरकार में मंत्री हैं. प्रसंगवश यह बताना समीचीन होगा कि महेश नेगी भी भाजपा में आने से पहले कांग्रेस में रह चुके हैं.
इन तमाम मामलों से इस छोटे राज्य में लोकतंत्र और उसके पहरूओं के चरित्र की बड़ी स्याह तस्वीर उभरती है.सार्वजनिक हुए मामलों के अतिरिक्त भी बहुत सारे मामले राजनीति के गलियारों में चटखारों के बीच दफ़न हो जाते हैं. इस तरह के किस्सों को सुन कर लगता नहीं कि ये लोकतंत्र में जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों या जनसेवकों की बात हो रही है. लगता है कि किन्हीं राजा-महाराजाओं का किस्सा है,जिन्होंने रानियों-पटरानियों के अतिरिक्त राजप्रासाद में कोई हरम कायम किया हुआ है. जिनके वक्त का अच्छा-खासा हिस्सा राजप्रासाद के हरम को और उसके किस्सों पर पर्दा डालने के “मैनेजमेंट” पर खर्च होता होगा,उन्हें राज्य और जनता के बारे में सोचने की फुर्सत कब और कैसे मिल पाती होगी ?
चूंकि अभी द्वाराहाट के विधायक के मसले पर बात हो रही है तो एक प्रश्न बरबस मन में यह भी उठता है कि द्वाराहाट वालो,ये तुम क्या कर बैठे,बीते पाँच-छह सालों में अपने साथ ?

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उत्तर प्रदेश में द्वाराहाट क्षेत्र,रानीखेत विधानसभा का हिस्सा था. स्वतंत्र संग्राम सेनानी मदन मोहन उपाध्याय इस विधानसभा क्षेत्र से 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुने गए. उत्तराखंड अलग राज्य बना तो समाजवादी रुझान वाले उत्तराखंड क्रांति दल के नेता और आंदोलनकारी विपिन त्रिपाठी द्वाराहाट विधानसभा से विधायक चुने गए,जिनकी उत्तराखंड राज्य को लेकर स्पष्ट दृष्टि थी.उनके आकस्मिक निधन के बाद उनके पुत्र पुष्पेश त्रिपाठी विधायक चुने गए. पुष्पेश भी जन मुद्दों को विधानसभा में और बाहर उठाने के लिए चर्चित हुए.
लेकिन बीते दो विधानसभा चुनावों से जो द्वाराहाट से चुने जा रहे हैं,वे सिर्फ विवादों के लिए चर्चा में हैं. 2016 में हरीश रावत सरकार अपने विधायकों के भाजपा के साथ चले जाने से संकट में आ गयी. राजनीतिक उठापटक के बीच द्वाराहाट के तत्कालीन विधायक मदन बिष्ट का स्टिंग वीडियो सामने आया. उसमें उनके राजनीति में सुचिता की चिंदी-चिंदी उड़ाते विचारों को स्पष्ट देखा जा सकता था. पूरे स्टिंग को देख कर कोफ़्त हुई कि कैसे लोग चुने जा रहे हैं.
लेकिन सिलिसला तो थमा नहीं बल्कि महेश नेगी और उनके कारनामों तक आन पहुंचा है ! इसीलिए यह सवाल है कि यह तुम अपने साथ क्या कर बैठे द्वाराहाट वालो ? पर ऐसा ही सवाल तो पूरे उत्तराखंड से भी बनता है कि अपने साथ,ये क्या कर रहे हो !