देहरादून: तंत्र साधना...किसी के लिए रहस्यमयी विद्या, तो किसी के लिए डर का विषय। कहते हैं साधना से सिद्धियां मिलती हैं। हर इंसान सिद्धियां इसलिए हासिल करना चाहता है, क्योंकि या तो उसे सांसारिक लाभ हासिल करना होता है या फिर आध्यात्मिक। लेकिन अपने उत्तराखंड में तो गजब ही हो रहा है। एक वायरल खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम की कुर्सी से हटाने के लिए कहीं तंत्र साधना चल रही है। खबरों की मानें तो मुख्यमंत्री के विरोधी उत्तराखंड में किसी गुप्त स्थान पर तंत्र साधना करा रहे हैं, ताकि त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया जा सके। विरोधियों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से हटाने के लिए कई जतन किए, लेकिन जब कोई तरीका काम ना आया तो वो तांत्रिकों की शरण में चले गए। बात करें उत्तराखंड की तो यहां सत्ता और तंत्र साधना का कनेक्शन नया नहीं है। आगे पढ़िए
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उत्तराखंड गठन के बाद से ही सियासत में तंत्र साधना की चर्चाएं होती रहीं हैं। कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि इन तंत्र साधनाओं का असर भी दिखता है। इनके प्रभाव से कई मुख्यमंत्रियों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। सत्ता हासिल करने की बेसब्री और महत्वकांक्षाएं समय-समय पर तंत्र साधना के रूप में सामने आती रही हैं। राज्य गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने नित्यानंद स्वामी ने दस महीने बाद ही कहा था कि उन्हें कुर्सी से हटाने के लिए तंत्र साधना चल रही है। इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि कुछ ही महीने बाद नित्यानंद स्वामी को सीएम की कुर्सी से हटना पड़ा। जब एनडी तिवारी सीएम बने तब उन्हें हटाने के लिए भी तंत्र साधना करने की चर्चाएं होती रहीं। पूर्व सीएम भुवनचंद्र खंडूड़ी और डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल के दौरान भी तंत्र साधना की खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी। दोनों को ही मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। बीजेपी के दिग्गज नेता और तत्कालीन सीएम भुवन चंद्र खंडूड़ी तो चुनाव तक हार गए थे।
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लोग तो यहां तक कहते हैं कि सीएम आवास भी अभिशप्त है। वहां रहने वाले सीएम कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। साल 2012 में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी सीएम आवास में रहते हुए अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। बाद में हरीश रावत सीएम बनकर यहां आए तो उन्होंने भी अभिशाप से बचने के लिए तंत्र साधना का सहारा लिया। हालांकि बाद में उन्हें भी सत्ता से बाहर होना पड़ा। एक वेबसाइट के मुताबिक सोशल मीडिया पर चर्चाएं हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी से हटाने के लिए किसी गुप्त स्थान पर तंत्र साधना चल रही है। भीतरखाने विरोधियों का एक खेमा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से हटाने के लिए नए-नए पैंतरे चल रहा है, हालांकि पिछले साढ़े तीन साल में इन पैतरों का त्रिवेंद्र सरकार पर कोई असर नहीं दिखा। अब त्रिवेंद्र सरकार का डेढ़ साल का कार्यकाल बचा है। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उनसे पार्टी का कोई विधायक नाराज नहीं है। वो विधायकों की नाराजगी की चर्चाओं को सिरे से खारिज करते रहे हैं। इस बीच त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम की कुर्सी से हटाने के लिए तंत्र साधना की चर्चाएं सोशल मीडिया पर खूब चल रही हैं, लेकिन इस तंत्र साधना का सचमुच कोई असर दिखेगा या नहीं, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।