उत्तराखंड अल्मोड़ाAlmora DM Nitin Bhadoria Kosi model

उत्तराखंड: DM नितिन की मेहनत रंग लाई, राष्ट्रीय अवॉर्ड की दौड़ में शामिल हुआ मॉडल

राष्ट्रीय जल अवॉर्ड की दौड़ में शामिल हो गया है अल्मोड़ा जिले का कोसी मॉडल। डीएम नितिन सिंह भदौरिया की कोसी नदी के संरक्षण की तरफ की गई मेहनत आखिरकार रंग ला रही है।

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Image: Almora DM Nitin Bhadoria Kosi model (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला का कोसी मॉडल एक बार फिर से जल एवं नदी संरक्षण की दिशा में अपनी धाक जमाने के लिए चर्चाओं से घिरा हुआ है। गैरहिमानी कोसी नदी के संरक्षण के लिए शुरू किया गया पुनर्जन्म महाअभियान राष्ट्रीय जल अवॉर्ड की दौड़ में शामिल हो गया है। इससे पहले भी इस मुहिम को काफी सराहा गया था और इसकी सफलता के लिए वर्ष 2019 में जल शक्ति मंत्रालय ने कोसी नदी को बचाने की मुहिम के लिए अवार्ड से नवाजा था। डीएम नितिन सिंह भदौरिया की कोसी नदी के संरक्षण की तरफ की गई मेहनत आखिरकार रंग ला रही है। डीएम नितिन सिंह भदौरिया के निर्देश में 2018 में सभी को साथ लेकर कोसी नदी के पुनर्जन्म के अभियान में तेजी लाई गई थी जिसका अंजाम यह निकला कि काफी बड़े स्तर पर किए गए इस अभियान को 2019 में जल शक्ति मंत्रालय ने अवॉर्ड देकर सम्मानित किया था।

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किसी समय में 255.85 किलोमीटर जलागम क्षेत्र को सिंचित करने वाली गैर हिमानी कोसी नदी को पुनर्जीवित करने हेतु शोध में जुटे सोहन सिंह जीना एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक जीवन सिंह रावत ने कोसी नदी को मौसमी नदी घोषित कर दिया था। 2012 में इस नदी के संरक्षण का महाअभियान शुरू किया गया। 2017 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुमाऊं में गैरहिमानी कोसी और गढ़वाल में रिस्पना नदी को संरक्षित करने के लिए चुना जिसके बाद इसके संरक्षण की मुहिम की शुरुआत हुई। वहीं अल्मोड़ा के डीएम नितिन सिंह भदौरिया के द्वारा 2018 में इस मुहिम में और अधिक तेजी लाई। उनकी मेहनत और दृढ़ निश्चय के कारण ही कोसी मॉडल राष्ट्रीय जल अवॉर्ड की दौड़ में चर्चाओं से घिरा हुआ है। डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने कुल 3 चरणों में इस मॉडल को विभाजित किया जिससे इसपर कार्य करना आसान हो गया। पहले चरण में नदी के रिचार्ज क्षेत्रों में पौधारोपण किया गया। इसके लिए 111 साइट भी विकसित की गईं।

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इस मुहिम के तहत एक ही दिन में 1 लाख पौधे लगाने का रिकॉर्ड भी लिम्का बुक में दर्ज हुआ था। दूसरे चरण में चाल-खाल खंतियों के ऊपर ध्यान दिया। आखिरी चरण में वॉटर हार्वेस्टिंग के ऊपर फोकस किया। क्या आप यह जानते हैं कि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का आइडिया इतना जबरदस्त निकला कि परिणामस्वरूप जनपद के 80 फीसदी सरकारी भवनों में वॉटर हार्वेस्टिंग से जमा वर्षाजल का उपयोग कर इसका इस्तेमाल किया जाता है। बरसाती पानी को रोक कर 2,960 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचित भूमि भी विकसित की गई है। और 74 मिलियन लीटर पानी भी संरक्षित किया गया है। डीएम नितिन सिंह भदौरिया का कहना है कि कोसी नदी के संरक्षण के तहत शुरू कितने गई इस मुहिम को हम जल जीवन मिशन से जोड़ कर भी बेहद तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये सरकारी भवनों में बरसाती पानी के संग्रहण की मुहिम को सौ फीसद करने का लक्ष्य उन्होंने रखा है।