उत्तराखंड उत्तरकाशीStory of Jayprakash Thapliyal of Uttarkashi

गढ़वाल के जयप्रकाश थपलियाल ने पशुपालन से संवारी किस्मत..हो रही है शानदार कमाई

उत्तरकाशी के जयप्रकाश थपलियाल ने पशुपालन के क्षेत्र में अपने बलबूते पर गांव में ही मॉडल डेयरी स्थापित कर स्वरोजगार की जीती- जागती मिसाल पेश की है। पढ़िए उनकी सक्सेस स्टोरी-

Uttarkashi News: Story of Jayprakash Thapliyal of Uttarkashi
Image: Story of Jayprakash Thapliyal of Uttarkashi (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: पहाड़ के कई नौजवान इस समय अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे हैं और अपने-अपने गांव वापस लौट आए हैं। ऐसे में स्वरोजगार ही वह जरिया है जिसको अपना कर युवा पहाड़ों को आबाद कर सकते हैं और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं। ऐसे में कई लोग हैं जो गांव में रह कर स्वरोजगार की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं। इसी कड़ी में अपना नाम जोड़ा है और स्वरोजगार की जीती जागती मिसाल पेश की है उत्तरकाशी के एक 32 वर्षीय युवा किसान जय प्रकाश थपलियाल ने। जयप्रकाश विकासखंड नौगांव के तियां गांव के निवासी हैं। वे गांव में रहकर स्वरोजगार के जरिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए वे समाज को प्रेरित कर रहे हैं। 32 वर्षीय युवा किसान जय प्रकाश थपलियाल ने अपने बलबूते पर और अपनी मेहनत से गांव में ही मॉडल डेयरी स्थापित कर यह साबित कर दिया है कि अगर मन में ठान लो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। आज वह एक सफल पशुपालक बनकर समाज में सबके सामने उभरे हैं। वे हर दिन 30 लीटर दुग्ध उत्पादन से न केवल अपने आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं जिनको लगता है कि गांव के अंदर स्वरोजगार के मौके नहीं हैं

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जयप्रकाश थपलियाल उत्तरकाशी जनपद के सुदूरवर्ती क्षेत्र तियां गांव के निवासी हैं। आज वे एक सफल पशुपालक के रूप में समाज के सामने उभरे हैं। उन्होंने पशुपालन क्षेत्र में कई वर्षों तक मेहनत की है। आज उसका नतीजा यह है कि वह अपने गांव में रहकर अच्छी खासी आय अर्जित कर रहे हैं। जयप्रकाश की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह केवल हाई स्कूल तक की पढ़ाई कर सके। 2007 में आजीविका के लिए जयप्रकाश ने पशुपालन का प्रशिक्षण लियस और करनाल हरियाणा में जाकर पशुपालन के आधुनिक तौर-तरीकों को भी गौर से देखा। अपने 2 साल के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने आखिरकार अपने गांव में रहकर पशुपालन में ही भविष्य बनाने का दृढ़ निश्चय लिया और उन्होंने अपने गांव आकर पशुपालन आरंभ किया जिसके बाद जयप्रकाश ने वापस कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2008 में उन्होंने पशुपालन आरंभ किया और उसके बाद उनकी डेयरी में गायों की संख्या बढ़ती ही चली गई और आज उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली है और गांव में ही अपनी एक डेयरी स्थापित कर ली है।

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वर्तमान में जयप्रकाश के पास हॉलस्टन फ्रीजिल नस्ल, जर्सी रेड सिधि, बद्री नस्ल की गाय हैं। आज वे एक सफल पशुपालक के रूप में सामने आए हैं और अपने गांव के युवकों को भी पशुपालन के गुर सिखा रहे हैं। उनके पास बेरोजगार युवक भी अपना रोजगार शुरू करने के लिए सलाह लेते हैं। बीते सप्ताह बड़कोट के उप जिलाधिकारी चतर सिंह चौहान ने उनकी मॉडल डेयरी पहुंच कर उनको सफलता के लिए बधाई दी और उनके काम को खूब सराहा। उप जिलाधिकारी ने जयप्रकाश को और अधिक गाय रखने और उनकी मॉडल डेयरी को और अधिक विस्तार देने के लिए प्रोत्साहित किया है ताकि वह अपने साथ ही अन्य लोगों को भी इस स्वरोजगार की मुहिम से जोड़ सकें। जयप्रकाश ने कहा कि पशुपालन की जर्नी उनके लिए बेहद कठिन रही मगर उन्होंने हार नहीं मानी और आज उनकी उनकी एक डेयरी है जहां पर वह रोजाना तकरीबन 30 लीटर तक दूध उत्पादन करते हैं। जयप्रकाश ने कहा कि उनके दूध की डेरी का एक मॉडल है जिसमें पशुओं के लिए अच्छी आवासीय व्यवस्था है। गौशाला में पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेशन का भी स्पेस बना हुआ है। गौशाला में पशुओं के लिए यूरिन, नाली, चारा, पानी की भी व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि उन्होंने हरियाणा के करनाल में जिस तरह पशुपालन की ट्रेनिंग ली थी ठीक उसी तरह अपने गांव में भी गौशाला तैयार की हुई है। अब उनका लक्ष्य 2021 में हर दिन 50 लीटर दूध का उत्पादन करना है।