उत्तराखंड देहरादूनDehradun car challaned in Delhi

गजब: देहरादून से कभी बाहर नहीं गई गाड़ियां, दिल्ली-नोएडा में कटा चालान..जानिए पूरा मामला

दून सिटी में दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें वाहन देहरादून से बाहर नहीं गया, लेकिन एक वाहन का दिल्ली में चालान कट गया तो दूसरे का नोएडा में ई-चालान हुआ। तब से दोनों गाड़ियों के मालिक परेशान हैं।

Dehradun car challan: Dehradun car challaned in Delhi
Image: Dehradun car challaned in Delhi (Source: Social Media)

देहरादून: नियमों का उल्लंघन होने पर चालान कटे तो कोई बात नहीं, लेकिन अपने दून में तो इन दिनों गजब हो रहा है। यहां दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें वाहन देहरादून से बाहर नहीं गया, लेकिन एक वाहन का दिल्ली में चालान कट गया तो दूसरे का नोएडा में ई-चालान हुआ। तब से दोनों गाड़ियों के मालिक परेशान हैं। समझ नहीं पा रहे कि ऐसा कैसे हो गया। ई-चालान संबंधी सूचना इन्हें एसएमएस और ईमेल के जरिए भेजी गई। चालान मिलने के बाद से दोनों वाहन स्वामियों की नींद उड़ गई है। उन्हें यही चिंता सता रही कि जब वह शहर से बाहर ही नहीं गए तो चालान कैसे हुआ। पहला केस एक एक्टिवा स्कूटर के चालान से जुड़ा है। ये स्कूटर भंडारीबाग में रहने वाली रोशनी देवी के नाम से दून के आरटीओ दफ्तर में रजिस्टर्ड है। इनके स्कूटर का जो नंबर है 22 मई 2020 को उसी नंबर की कार का चालान नोएडा में हो गया। ओवर स्पीड में हुए दो हजार रुपये के ई-चालान का ई-मेल रोशनी देवी के पास पहुंचा है। चालान में पूरी डिटेल रोशनी देवी की हैं, लेकिन फोटो कार का है। दूसरा केस एक ऑटो से जुड़ा है। इस ऑटो के मालिक सतीश कुमार हैं। आगे पढ़िए

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नियम के अनुसार ऑटो शहर में 25 किलोमीटर के दायरे से बाहर नहीं जा सकता, लेकिन कुछ दिन पहले सतीश के वाहन का चालान दिल्ली में कट गया। सतीश के मोबाइल पर एक मैसेज आया। जिसमें बताया गया कि उनके ऑटो के नंबर के वाहन का दिल्ली में एक हजार रुपये का चालान हुआ है। अब चालान तो हो गया, लेकिन इसके साइड इफेक्ट क्या होंगे, ये भी जान लें। जब तक चालान का निस्तारण नहीं हो जाता कमर्शियल वाहन की फिटनेस नहीं हो पाएगी। टैक्स भी जमा नहीं हो पाएगा। डुप्लीकेट आरसी नहीं बन पाएगी। वाहन बेचे भी नहीं जा सकते। दून की गाड़ियों का दूसरे शहरों में चालान कटने की वजह का पता नहीं चल सका है, लेकिन माना जा रहा है कि कुछ लोग चोरी की गाड़ियों पर फर्जी नंबर प्लेट लगा देते हैं। नियम तोड़ने पर जब ऐसे वाहनों के ई-चालान होते हैं तो चालान उसके पास पहुंचता है। जिसके नाम पर संबंधित नंबर का वाहन रजिस्टर्ड होता है। अब पीड़ित वाहन चालक समस्या के समाधान की मांग कर रहे हैं तो वहीं आरटीओ संदीप सैनी का कहना है कि इसमें तकनीकी दिक्कत भी हो सकती है। जांच के बाद ही इसका समाधान किया जा सकता है।