उत्तराखंड देहरादूनBenefit of gehet ki daal

देवभूमि का अमृत: पथरी और गुर्दे की बीमारियों का रामबाण इलाज है गहत..जानिए इसके फायदे

उत्तराखंड की मशहूर गहत की दाल का पानी पथरी जैसी गंभीर बीमारी के उपचार के लिए भी रामबाण औषधि माना जाता है। आप भी जानिए गहत की दाल के अंदर पाई जाने वालीं खूबियां-

Uttarakhand aayurveda: Benefit of gehet ki daal
Image: Benefit of gehet ki daal (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में ठंड अपने चरम पर है और सर्दियों के मौसम में गांव की गहत की लजीज दाल खाने का अपना अलग ही मजा है। गांव के तकरीबन हर घर में गहत की दाल बेहद आम है और लगभग हर दिन ही इस दाल का सेवन अलग-अलग रूप में और अलग-अलग व्यंजनों में किया जाता है। पहाड़ों की यह खास और मशहूर दाल धीरे-धीरे शहरी लोगों के बीच में भी अपनी जगह बना रही है। जी हां, अब शहरों में भी लोगों के बीच गहत की दाल की डिमांड बढ़ती ही जा रही है। सर्द मौसम में गहत की दाल बेहद लजीज और फायदेमंद मानी जाती है। खरीफ की फसल में शुमार गर्म तासीर वाली इस दाल का पर्वतीय क्षेत्रों में शीतकाल में सबसे अधिक सेवन किया जाता है। इस दाल के अंदर प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है। मगर क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड की मशहूर गहत की दाल के अंदर कई ऐसे अनोखे औषधीय गुण हैं जिनको सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

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गहत की दाल का पानी पथरी के उपचार के लिए भी एक रामबाण औषधि माना जाता है। जी हां, गहत की दाल का जायका तो हम सभी लेते हैं मगर इसकी खूबियों से बहुत ही कम लोग अवगत हैं। पथरी जो की बहुत ही आम समस्या है उसको जड़ से खत्म करने में गहत की दाल का पानी बहुत ही लाभकारी है। गर्म तासीर के कारण सर्द मौसम में यह दाल बेहद गुणकारी मानी जाती है। गुर्दे की पथरी में यह दाल काफी लाभकारी है। गहत की दाल का रस गुर्दे की पथरी में काफी लाभकारी माना जाता है और कई महीनों तक इसका सेवन करने से स्टोन धीरे-धीरे गल जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है और इसके अंदर प्रोटीन की मात्रा भी काफी अधिक होती है और जिन लोगों को भी कमजोरी होती है उनके लिए भी यह दाल विशेष लाभदायक होती है।

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सर्दी के मौसम में गहत की दाल का तकरीबन रोज सेवन करने से कई बीमारियों का जड़ से खात्मा हो जाता है जिनमें गुर्दे की पथरी एक मुख्य बीमारी है। इसी के अलावा प्रोटीन की कमी भी यह दाल पूरी कर देती है। कुमाऊं में इसको गहत कहते हैं। वहीं हिंदी में इसको कुल्थी के नाम से जाना जाता है और सर्दी के मौसम में नवंबर से लेकर फरवरी तक इस दाल का सेवन काफी अधिक मात्रा में किया जाता है। इस दाल के अंदर पत्थरों को पिघलाने का एक विशेष गुण होता है। ऐसे में इसके पानी का रोजाना सेवन करने से पथरी जड़ से खत्म हो जाती है। सैकड़ों लोगों का कहना है कि गहत की दाल का पानी पीने से पथरी के रोग में आराम मिला है। उत्तराखंड में कई विशेषज्ञ गुर्दे की पथरी के मरीजों को गहत की दाल का पानी पीने की सलाह देते हैं। उत्तराखंड के गांव में गहत की दाल अलग अलग व्यंजनों के अंदर अलग अलग रूप में इस्तेमाल की जाती है। केवल उत्तराखंड ही नहीं अपितु पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर में भी लोग इस दाल के रस का सेवन कर पथरी जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म कर चुके हैं।