उत्तराखंड देहरादूनControversy over Chief Minister in Uttarakhand Congress

उत्तराखंड कांग्रेस में चुनाव से पहले अंदरखाने बवाल..सेनापति, मुख्यमंत्री को लेकर मचा घसामान

किसी एक नेता को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित ना कर के पार्टी आपसी कलह को टालना चाहती थी, लेकिन सारी कोशिशें बेकार रहीं। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Uttarakhand Congress: Controversy over Chief Minister in Uttarakhand Congress
Image: Controversy over Chief Minister in Uttarakhand Congress (Source: Social Media)

देहरादून: साल 2022 का चुनावी रण सिर पर है। दूसरी पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुटी हैं, लेकिन कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। जमीनी स्तर पर चुनाव की तैयारी करने की बजाय पार्टी ‘सेनापति’ और मुख्यमंत्री पद के दावेदार को लेकर उलझी हुई है। पिछले दिनों कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का रुख साफ करते हुए कहा था कि पार्टी सामूहिक ताकत से चुनाव लड़ेगी। किसी एक नेता को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित ना कर के पार्टी आपसी कलह को टालना चाहती थी, लेकिन सारी कोशिशें बेकार रहीं। सोमवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाईकमान से मांग करते हुए कहा कि वर्ष 2022 के चुनावी रण का सेनापति घोषित कर दिया जाना चाहिए। साथ ही यह भी साफ कर देना चाहिए कि वही व्यक्ति आगे सीएम बनेगा।

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हरदा के इस बयान के बाद कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया। राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, धारचूला विधायक हरीश धामी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने हरदा का समर्थन किया। उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही। वहीं दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और पूर्व विधायक रणजीत सिंह इसके विरोध में उतर गए। बाद में डैमेज कंट्रोल के लिए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को सामने आना पड़ा। उन्होंने साफ कर दिया कि कांग्रेस सामूहिक रूप से चुनाव लड़ेगी न कि किसी को चेहरा बनाकर। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि हर नेता व कार्यकर्ता के बिना वर्ष 2022 की लड़ाई अधूरी है। पार्टी को बिना लाग-लपेट के वर्ष 2022 के चुनावी रण के लिए सेनापति घोषित कर देना चाहिए। अगर हम चुनाव में हम अस्पष्ट स्थिति के साथ जाएंगे तो यह पार्टी के हित में नहीं होगा।

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बयान पर बवाल हुआ तो हरदा ने अपने बयान को लेकर सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि मेरी भावना यह है कि चुनाव के वक्त असमंजस न रहे, एक नाम को आगे कर हम सब उसके साथ चलें। अब हरदा के समर्थक उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं तो विरोधी हरदा पर तंज कसने से बाज नहीं आ रहे। पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत बोले कि बात अगर चेहरे की है तो 2017 के चुनाव में हरीश रावत ही तो पार्टी का चेहरा थे। हमने हर दीवार पर लिख दिया कि हरीश रावत-सबकी चाहत। देख लीजिए वो स्याही अब तक सूखी तक नहीं होगी। नतीजा भी सबके सामने है। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि सीएम-सेनापति से उन्हें कोई मतलब नहीं है। फिलहाल तो लक्ष्य यही है कि कांग्रेस को मजबूत कर दोबारा सत्ता में लाना है। वो कांग्रेस के समर्पित सिपाही हैं और पार्टी हाईकमान के आदेश पर कार्य करेंगे।