चमोली: रविवार को आई आपदा के बाद रैणी गांव के लोग अपने घरों में जाने से डरने लगे हैं। लोग दिन के वक्त गांव स्थित घरों में आते हैं और शाम होते ही ऊपरी क्षेत्रों में स्थित गौशालाओं में वापस लौट जाते हैं, दरअसल गांव वालों का मानना है कि क्षेत्र में आपदा की एक लहर और आ सकती है और ये आशंका निर्मूल नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में आपदा प्रभावित चमोली जिले की नीती घाटी में एक झील बन गई है। शासन ने वाडिया, टीएचडीसी, एनटीपीसी और आईआईआरएस को इसकी जांच करने का आदेश दिया है। ऋषिगंगा जल संग्रहण क्षेत्र में ही रविवार को आपदा आई थी। इसमें दो जल विद्युत परियोजनाएं तबाह हुईं और कई लोगों को जान गंवानी पड़ी।आपदा के पीछे भारी मात्रा में बर्फ के पिघलने, हिमस्खलन और हैंगिंग ग्लेशियर के टूटने जैसी वजहें बताई जा रही हैं। रविवार को आई आपदा का सैलाब गुजर चुका है, लेकिन खतरा अब भी बरकरार है। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञानी डॉ. नरेश राणा ने दावा किया कि ऋषि गंगा के मुहाने पर झील बन गई है। जिस स्थान पर झील बनी हुई है उस स्थान पर जाकर डॉ. राणा ने जानकारी जुटाई है। उन्होंने इसकी रिपोर्ट विवि प्रशासन को भी सौंप दी है। आगे पढ़िए
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इस रिपोर्ट में डॉ. राणा ने बताया कि मलबे से बनी झील की वजह से ऋषिगंगा की धारा अवरुद्ध हो गई है, जिससे भविष्य में भी बाढ़ के हालात बन सकते हैं। उन्होंने इसका वीडियो भी जारी किया है। ऊंचाई वाले इलाके में ऋषिगंगा और त्रिशूल नाले के संगम पर झील बन रही है। जिसे लेकर रैणी गांव के लोग डरे हुए हैं। गांव के लोगों का कहना है कि झील टूटी तो फिर से तबाही होगी। ग्रामीणों के आग्रह को देखते हुए आपदा प्रबंधन सचिव एसए मुरुगेशन ने इसके लिए अलग-अलग एजेंसियों को पत्र लिखकर जांच के लिए कहा है। सचिव की ओर से जारी किए गए पत्र में कहा गया कि इस मामले की तहकीकात कर शासन को रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। आपदा प्रबंधन सचिव एसए मुरुगेशन ने कहा कि इस विषय में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं।