चमोली: चमोली में नंदप्रयाग-घाट मोटरमार्ग के चौड़ीकरण की मांग को लेकर पिछले 109 दिनों से आंदोलन जारी है। प्रदर्शनकारी अनशन पर बैठे हैं। अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए यहां के ग्रामीणों ने पहले शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। मानव श्रृंखला बनाकर सरकार को झकझोरने की कोशिश की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अब मामला दिल्ली पहुंच गया है। यहां घाट क्षेत्र के लोगों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर एक बार फिर से अपनी मांगें दोहराई। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शासन में नियुक्त कुछ अधिकारी पहाड़ विरोधी कार्य कर रहे हैं। उन्होंने प्रमुख सचिव आरके सुधांशु पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि प्रमुख सचिव आरके सुधांशु सरकार को मुद्दे से भटकाने का काम कर रहे हैं। वो सड़क पर 3 हजार गाड़ियां प्रतिदिन न चलने का हवाला दे रहे हैं, जबकि जिस मानक के अनुसार दिवालीखाल-भराड़ीसैण मोटरमार्ग को डबल लेन बनाया जा रहा है। उसी मानक के अनुसार नंदप्रयाग-घाट सड़क को भी डेढ़ लेन चौड़ा बनाया जाना चाहिए
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प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ऐसा होने नहीं देना चाहते। वो शुरू से ही ग्रामीणों की मांग का विरोध करते आ रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांग को लेकर सांसद अनिल बलूनी और अजय भट्ट से भी मुलाकात की है। पिछले दिनों शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने भी अपनी बात रखी थी। बता दें कि गोपेश्वर-नंदप्रयाग-घाट मार्ग का निर्माण वर्ष 1962 में हुआ था। यह सड़क घाट ब्लॉक के 55 और कर्णप्रयाग की 15 ग्राम पंचायतों को आपस में जोड़ती है। इस मार्ग को ही ग्रामीण डेढ़ लेन तक चौड़ा करने की मांग कर रहे हैं। गैरसैंण में हुए बजट सत्र के दौरान भी आंदोलनकारियों ने सरकार के सामने ये मुद्दा उठाया था। इस दौरान आंदोलनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई थी, जिसके बाद आंदोलनकारियों पर जमकर लाठियां चलाई गई थी। हालांकि नए सीएम तीरथ सिंह रावत ने रोड का जल्द चौड़ीकरण करवाने का भरोसा दिलाया है।