उत्तराखंड अल्मोड़ाFire in uttarakhand jungle

उत्तराखंड: जंगलों की आग ने बढ़ाई सरकार की मुश्किल..40 जगह आग का तांडव

मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने क्षेत्र में बने रहने के लिए कहा है। फायर वॉचर 24 घंटे निगरानी करेंगे। वनकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।

Uttarakhand jungle fire: Fire in uttarakhand jungle
Image: Fire in uttarakhand jungle (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: सूखे के चलते जंगलों में लगातार आग धधक रही है। इस बार सर्दियों में कम बारिश हुई, जिसके गंभीर नतीजे सबके सामने हैं। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक जंगल के जंगल जल रहे हैं। हालात इस कदर गंभीर हैं कि राज्य सरकार को आग बुझाने के लिए केंद्र से मदद मांगनी पड़ी। जंगल की आग गांवों तक पहुंच रही है, जिससे लगातार हादसे हो रहे हैं। जंगल में लगी आग की वजह से अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। दो लोग झुलसे हैं, जबकि 7 मवेशियों की जलकर मौत हो गई। स्थिति बिगड़ते देख सीएम ने रविवार को एक आपात बैठक बुलाई। जिसमें वन अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए गए

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मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शासन, पुलिस और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली। सभी जिलाधिकारियों संग वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा की। वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने क्षेत्र में बने रहने के लिए कहा गया है। फायर वॉचर 24 घंटे निगरानी करेंगे। मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की घटनाओं की जानकारी तुरंत कंट्रोल रूम को देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जंगलों की आग बुझाने के लिए वन पंचायतों और स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए। लोगों को जागरूक किया जाए। वहीं बात करें वर्तमान परिस्थिति की तो इस समय प्रदेश में 40 स्थानों पर जंगल धधक रहे हैं। पिछले 24 घंटे में ही आग के करीब 45 मामले सामने आए, जिससे 69 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है।

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इस साल प्रदेश में वनाग्नि की 983 घटनाएं सामने आईं। जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, नैनीताल और अल्मोड़ा जिले ज्यादा प्रभावित हैं। प्रदेश में 1313 फायर क्रू स्टेशन हैं, जबकि जंगलों की सुरक्षा के लिए 12 हजार वनकर्मी तैनात हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में वनाग्नि की घटनाओं को कम से कम करने के लिए तहसील और ब्लॉक स्तर तक कंट्रोल रूम और फायर स्टेशन स्थापित किए जाएं। उन्होंने कंट्रोल रूम की संख्या बढ़ाने के साथ ही प्रभावितों को मानकों के अनुरूप जल्द से जल्द मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। जंगल में आग लगाने वाले तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।