उत्तराखंड पिथौरागढ़Flying red squirrel seen in Uttarakhand

उत्तराखंड: गार्जिला गांव के जंगलों में दुर्लभ दृश्य..नजर आया उड़ने वाली लाल गिलहरी का जोड़ा

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित गार्जिला गांव के जंगलों में उड़ने वाली लाल गिलहरी का अद्भुत और अनोखा जोड़ा कैमरे में कैद हुआ है। 1 साल रुद्रप्रयाग के जंगलों में दिखाई दी गई थी उड़न गिलहरी।

Uttarakhand Red Squirrel: Flying red squirrel seen in Uttarakhand
Image: Flying red squirrel seen in Uttarakhand (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से एक सुखद खबर सामने आई है जहां पर जंगलों में दुर्लभ हिमालयन उड़ने वाली लाल गिलहरी का जोड़ा कैमरे में कैद हुआ है। इसको उड़न गिलहरी भी कहा जाता है। बता दें कि पिथौरागढ़ के गार्जिला गांव के जंगलों में उड़ने वाली लाल गिलहरी का यह अद्भुत और अनोखा जोड़ा देखा गया है। 1 साल पहले यह दुर्लभ गिलहरी रुद्रप्रयाग के जंगलों में दिखाई दी गई थी। इस गिलहरी का वैज्ञानिक नाम टेरोमायनी है। बता दें कि यह गिलहरी शाकाहारी होती है और रात में ही अपने भोजन की तलाश में निकलती है। मध्य हिमालय में पाई जाने वाली है उड़ने वाली लाल गिलहरी नेवले के आकार की होती है और वह अपने पंजों को पैराशूट की तरह इस्तेमाल कर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर ऊंची छलांग लगाने के लिए जाने जाती है। आपको यह सुनकर आश्चर्य होगा कि यह गिलहरी 30 से 40 फीट तक संतुलन बनाकर अपने पंजों का इस्तेमाल कर छलांग लगा सकती है। जब से पिथौरागढ़ के जंगलों में लाल गिलहरी का जोड़ा देखा गया है तब से यह कौतूहल का विषय बना हुआ है।

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आपको बता दें कि कुल 50 प्रजातियों में से भारत के अंदर 12 गिलहरियों की प्रजातियां पाई जाती हैं और इनमें से यह उड़ने वाली गिलहरी एक है। पिथौरागढ़ के उप प्रभागीय वन अधिकारी नवीन पंत का कहना है पिथौरागढ़ के गांव गार्जिला गांव में यह गिलहरी पाई गई है। यह गिलहरी शुद्ध रूप से शाकाहारी होती है और यह रात में भोजन के लिए बाहर निकलती है। यह गिलहरी पेड़ के कोठर में रहती है। इसकी खूबी यह है कि यह एक पेड़ से दूसरे या नीचे उतरने के लिए अपने पंजों की सहायता से ग्लाइड करती है। यह चारों पैरों को समान दूरी पर फैलाती है पैरों के बीच की लचीली चमड़ी एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाते समय पैराशूट के तौर पर काम करती है। इसलिए यह उड़ने वाली गिलहरी आसानी से अपने शरीर को नियंत्रित कर हवा में 30 से 40 फीट तक संतुलन बनाकर अपने पंजों की मदद से ग्लाइड करती है और आसानी से छलांग लगा सकती है।