उत्तराखंड देहरादूनAlert regarding black fungus disease in Uttarakhand

उत्तराखंड में ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर अलर्ट, मिलने लगे मरीज...जानिए इससे बचने के उपाय

देहरादून में ब्लैक फंगस के दो मरीज मिलने के बाद अलर्ट जारी हो गया है। दून मेडिकल कॉलेज का प्रशासन भी इस फंगस से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। जानिए इस फंगस से कैसे बचा जा सकता है-

Uttarakhand black fungus: Alert regarding black fungus disease in Uttarakhand
Image: Alert regarding black fungus disease in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आशुतोष सयाना का कहना है कि हम हर परिस्थिति में इस बीमारी को लेकर अलर्ट हैं और इस बीमारी से निपटने के लिए हमने डॉक्टर को निर्देश दे दिए हैं। उनका कहना है कि बीमारी से निपटने के लिए सबसे पहले उसकी पहचान और मरीजों का व्यवहार पहचानना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के सिम्टम्स के बारे में डॉक्टरों को अच्छे से बता दिया गया है और सिम्टम्स पहचाने के बाद ही मरीज के उपचार का नंबर आता है। उन्होंने बताया कि हमने दून अस्पताल के सभी डॉक्टरों को इस फंगस की पहचान को लेकर सभी तथ्य बता दिए हैं। क्योंकि यह वायरस आमतौर पर गंदगी से फैलता है इसीलिए अस्पताल के अंदर भर्ती हर मरीज की साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। जो भी मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं उनके साथ फ्लो मीटर में लगी बोतल के पानी को भी नियमित अंतराल पर बदला जा रहा है। उनका कहना है कि कोरोना के दौरान या फिर ठीक होने पर मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर पड़ जाती है जिस वजह से ब्लैक फंगस ऐसे लोगों को अपनी जकड़ में ले रहा है। मधुमेह के रोगियों में यह संक्रमण खतरनाक रूप ले सकता है।

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डॉ आशुतोष सयाना ने बताया कि यह बीमारी किसी भी संक्रमित मरीज को हो सकती है और इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे जरूरी है साफ-सफाई। उन्होंने कहा कि नमी के कारण यह फंगस पैदा होती है और यह फंगस किसी भी कोरोना मरीज, किडनी रोग या गंभीर बीमारी वाले मरीज को जल्द अपनी जकड़ में ले लेती है। ऐसे में रोगी की साफ-सफाई का खास ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन लेते वक्त ब्लैक फंगस का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जो भी मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं उनमें सबसे अधिक ब्लैक फंगस का खतरा देखा जाता है। मरीज को लगाए जाने वाले ऑक्सीजन पाइप और उसमें डाले जाने वाले पानी को नियमित रूप से बदलना जरूरी है और अगर यह पानी गंदा है तो उसमें ब्लैक फंगस पनपती है जो कि सांस के जरिए मरीज के अंदर जाती है। ऐसे में उन्हें सलाह दी है कि इससे बचाव के लिए डिस्टिल्ड वाटर का यूज करें और उसको समय-समय पर बदलते रहें और इसी के साथ हाथ को अच्छे से सैनिटाइज करें। उनका कहना है कि अगर अस्पताल में साफ-सफाई सफाई का ध्यान रखा जाए तो ब्लैक फंगस का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है। इस फंगस से बचाव का एकमात्र तरीका है साफ-सफाई। इसी के साथ इम्युनिटी बढ़ाने के लिए नियमित रूप से फल एवं हरी सब्जियों के साथ प्रचुर मात्रा में डायट में प्रोटीन को शामिल करें और नियमित रूप से व्यायाम करें।