उत्तराखंड चम्पावतRenu Bora of Champawat is giving free karate training

पहाड़ की गोल्डन गर्ल रेनू का नेक काम, पहाड़ के बच्चों को फ्री में दे रही हैं कराटे की ट्रेनिंग

3 दर्जन से भी अधिक बच्चों को कराटे का निशुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं चंपावत की स्वर्ण पदक विजेता और नेशनल कराटे अकादमी इंडिया की कोच रेनू बोरा।

Champawat News: Renu Bora of Champawat is giving free karate training
Image: Renu Bora of Champawat is giving free karate training (Source: Social Media)

चम्पावत: उत्तराखंड की होनहार बेटियां हर क्षेत्र में राज्य का नाम रौशन कर रही हैं। आज हम आपका परिचय राज्य की एक ऐसी ही होनहार बेटी से करवाने जा रहे हैं जिन्होंने कराटे में स्वर्ण पदक हासिल किया है और कराटे के गुर वे बच्चों को भी सिखा रही हैं। हम बात कर रहे हैं चंपावत की रेणु बोरा की जो कराटे में स्वर्ण पदक हैं और अपने गांव में बच्चों को निशुल्क कराटे का प्रशिक्षण दे रही हैं। उनका मकसद बच्चों को मानसिक एवं शारीरिक रूप से मजबूत करना है और इसी इरादे के साथ वे अपने गांव और आसपास के गांव के बच्चों को मुफ्त में कराटे का प्रशिक्षण दे रही हैं। रेनू बोरा नेशनल कराटे अकादमी की कोच भी हैं और कराटे में अपनी काबिलियत के दम पर उन्होंने स्वर्ण पदक भी अर्जित कर रखा है। चंपावत की रेनू बोरा अपने गांव बोराबुंगा में बच्चों को प्रशिक्षण दे रही हैं।

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रेनू बोरा हल्द्वानी में अपनी मां के साथ रहती हैं और वहां युवाओं को बतौर कोच कराटे का प्रशिक्षण देती हैं। रेनू बोरा का यह सफर आसान नहीं था। रास्ते में बहुत कठिनाइयां आईं मगर उन्होंने डट कर उनका सामना किया। खिलाड़ी से कोच बनने की राह में सैकड़ों संघर्ष आए। उनके पिता ने उनका उत्साह बढ़ाया। उन्होंने इस यात्रा में कई प्रतियोगिताओं में अपने हुनर का जलवा बिखेरा। 59 वें राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में उन्होंने स्वर्ण पदक जीत कर राज्य का नाम रौशन किया। 60 वें राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में भी उन्होंने कांस्य पदक जीता। 2017 में उनके पिता का आकस्मिक देहांत हो गया जिसके बाद उनके परिवार के ऊपर रोजीरोटी का एक बड़ा संकट आ गया। परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी मगर वे इससे कमजोर नहीं पड़ीं, बल्कि इस कमजोरी को उन्होंने अपनी ताकत बना ली जिसके बाद अब वे अपनी मां के साथ हल्द्वानी में रह रही हैं और नेशनल कराटे अकादमी इंडिया में कोच के तौर पर कार्यरत हैं।

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उन्होंने बताया कि आजकल कोरोना के कारण सभी खेल गतिविधियां बंद पड़ी हुई हैं इसी वजह से वे अपने गांव लौट आई हैं और बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत करने के लिए उनको निशुल्क कराटे के गुर सिखा रही हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल बंद होने के कारण बच्चों पर गहरा असर पड़ रहा है। बच्चे कई महीनों से घरों में कैद हो रखे हैं। ऐसे में उनके अंदर सकारात्मकता का संचार करने और उनको मानसिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए वे 2 महीनों सेलोहाघाट के बोराबुंगा और आसपास के गांवों से 3 दर्जन से भी अधिक बच्चों को कराटे के गुर सिखा रही हैं। रेनू कराटे का प्रशिक्षण देने के साथ ही एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी से एमए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं.