उत्तराखंड कोटद्वारSubedar Major Satish Kumar Olympic boxer

कुमाऊं रेजीमेंट के जांबाज ने ओलंपिक में जीता दुनिया का दिल, 8 टांके लगे लेकिन रिंग नहीं छोड़ा

आज की हमारी इस कहानी के हीरो हैं कुमाऊं रेजिमेंट के सूबेदार मेजर सतीश कुमार। पढ़िए ओलंपिक के इस हीरो की कहानी

Olympics Satish Kumar: Subedar Major Satish Kumar Olympic boxer
Image: Subedar Major Satish Kumar Olympic boxer (Source: Social Media)

कोटद्वार: कहते हैं खेल से पहले खेल भावना का दिल में होना बेहद जरूरी है। बिना खेल भावना के कैसा खेल? आज की हमारी इस कहानी के हीरो हैं 11 कुमाऊं रेजिमेंट के सूबेदार मेजर सतीश कुमार। आप भले ही यह जानते हो या ना जानते हो लेकिन हम आपको यह बताना चाहते हैं कि सूबेदार मेजर सतीश कुमार भारत के 91 किलोग्राम वर्ग के सुपर हैवीवेट मुक्केबाज हैं। हाल ही में टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने दुनिया के सामने यह जरूर दिखाया कि एक फौजी कभी भी हार नहीं मानता। टोक्यो ओलंपिक के प्री क्वार्टर फाइनल में सूबेदार मेजर सतीश कुमार को चोट लगी थी। उन्हें जमैका के रिकार्डो ब्राउन के खिलाफ प्री-क्वार्टर मैच में ठुड्डी और दाहिनी आंख पर गहरा कट लग गया था। उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में जीत तो हासिल की लेकिन जख्म गहरा था। आंख के पास 8 टांके लग गए लेकिन फिर भी कुमाऊं रेजीमेंट के इस साहसी मुक्केबाज ने रिंग में प्रवेश किया। इसके बाद भी उन्होंने वर्ल्ड चैंपियन उज्बेकिस्तान के बोखोदिर जोलोलोव के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में एक शानदार लड़ाई लड़ी। भले ही सतीश कुमार को हार मिली लेकिन आज ओलंपिक संघ भी सूबेदार मेजर सतीश कुमार की खेल भावना की दिल से तारीफ कर रहा है। सिर्फ ओलंपिक संघ ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में सूबेदार मेजर सतीश कुमार के अदम्य में हौसले को सलाम किया जा रहा है। वो आखिरी वक्त तक रिंग पर टिके रहे। बीच में वो अपने दाहिने हाथ से सामने के प्रतिद्वंदी पर हुक मारने में कामयाब भी रहे। शानदार खेल के बाद उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी का भी सम्मान अर्जित किया। यह भारतीय सेना का पराक्रम है, यह कुमाऊं रेजिमेंट के बीच सूबेदार मेजर सतीश कुमार का हौसला है..जिसे आज दुनिया सलाम कर रही है। कुमाऊं रेजीमेंट के जबरदस्त मुक्केबाज के लिए एक शेयर तो बनता है..जय हिंद
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