उत्तराखंड टिहरी गढ़वालPM Modi talks to Sushant Uniyal

गढ़वाल: शहर छोड़कर गांव लौटे सुशांत उनियाल, मशरूम फार्मिंग में पाई सफलता..PM ने की तारीफ

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनके मुरीद हैं। ये कहानी है टिहरी के चंबा निवासी सुशांत उनियाल की।

Tehri Garhwal News: PM Modi talks to Sushant Uniyal
Image: PM Modi talks to Sushant Uniyal (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: शहरों की अच्छी खासी नौकरी इस नौजवान को रास नहीं आई। माटी ने पुकारा तो वो नौजवान गांव चला आया। यहीं पर मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनके मुरीद हैं। ये कहानी है टिहरी के चंबा निवासी सुशांत उनियाल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न राज्यों के लाभार्थी किसानों से उनके प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने उत्तराखंड के टिहरी जिले के चंबा विकासखंड के सुशांत उनियाल से भी बात की और उनकी जमकर सराहना की। सुशांत उनियाल ने इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी दिल्ली से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की पढ़ाई की है। सुशांत ने डडूर में मशरूम उत्पादन इकाई के माध्यम से मशरूम की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें सरकारी योजनाओं से बहुत लाभ हुआ है। अपने मशरूम उत्पादन से आस पास के ग्रामीणों को भी जोड़ा है। पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 9,75,46,378 किसान परिवारों के खातों में रकम ट्रांसफर की। इस दौरान उन्होंने प्रगतिशील किसानों से भी बात की। इनमें उत्तराखंड के 8.82 लाख किसानों के खाते में 176.46 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई है। आगे पढ़िए

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इसी कड़ी में पीएम ने सुशांत से भी बात की। सुशांत ने पीएम को बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के आह्वान पर ही पहाड़ के लिए कुछ करने का संकल्प लिया। वे घर लौटे और मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में काम किया। सुशांत ने पीएम को बताया कि पहाड़ों में जंगली जानवरों से बहुत खतरा है, ऐसे में मशरूम की खेती सबसे मुफीद है। यहां की प्राकृतिक जलवायु भी मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त है। सुशांत को बधाई देते हुए पीएम ने कहा कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती है, हमें इसे उलट करना है। सुशांत उनियाल जैसे युवाओं को देखकर लग रहा है कि अब पहाड़ की जवानी फिर पहाड़ के काम आ रही है। युवा जब खेती करता है तो बड़ा बदलाव आना निश्चित है। सरकार का प्रयास है कि शहरों और गांवों में सुविधाओं के भेद को कम करना है।